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Booster Dose: सभी को बूस्टर डोज नहीं! स्वास्थ्य विशेषज्ञों की आशंका के बाद नीति में बदलाव कर सकती है सरकार

Updated Jan 27, 2022 | 09:07 IST

Covid booster dose : भारत में बूस्टर डोज को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एक नई बात कही है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की तीसरी डोज अन्य आयु वर्ग के लोगों को देना उचित नहीं है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
भारत में बूस्टर डोज देने पर विशेषज्ञों ने नई बात कही है।
मुख्य बातें
  • कई देशों में बूस्टर डोज के सकारात्मक परिणाम नहीं आए हैं
  • स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय है सभी उम्र के लोगों को इसे देना ठीक नहीं
  • बूस्टर डोज पर राय देखने के बाद सरकार अपनी नीति बदल सकती है

नई दिल्ली : कोविड-19 की की तीसरी लहर से लोगों को बचाने के लिए दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन की बू्स्टर डोज दी जा रही है। भारत में भी स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स एवं बीमारियों से युक्त 60 साल और उससे ऊपर के लोगों को अतिरिक्त डोज दी जा रही है। हालांकि, यह बूस्टर डोज कोरोना संक्रमण से बचाने में कितनी कारगर है इसे लेकर अलग-अलग अध्ययन सामने आए हैं। कहीं पर बूस्टर खुराक ज्यादा प्रभावी पाई गई है तो कुछ देशों में इसके लगने के कुछ दिन बाद लोगों की प्रतिरोधक क्षमता में कमी भी देखने को मिली है।

अपनी नीति में बदलाव कर सकती है सरकार
भारत में बूस्टर डोज को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एक नई बात कही है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की तीसरी डोज अन्य आयु वर्ग के लोगों को देना उचित नहीं है। विशेषज्ञों की यह राय सामने आने के बाद सरकार बूस्टर डोज पर अपनी नीति में बदलाव कर सकती है। टीओआई की रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि इसके बावजूद देश में फ्रंटलाइन वर्कर्स एवं बीमारियों से युक्त 60 साल और इससे ऊपर के लोगों को 'एहतियाती डोज' लगना जारी रहेगा। 

'हम अन्य देशों का अंधानुकरण नहीं करेंगे'
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने कहा, 'बूस्टर डोज देने पर दोबारा विचार किए जाने की जरूरत है। हालांकि, इसे देने पर काफी मंथन हुआ है। यह भी पाया गया है कि जिन देशों में बूस्टर डोज लगा है वहां पर संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आई है। हम अन्य देशों का अंधानुकरण नहीं करेंगे। अपने यहां बूस्टर डोज देने के बारे में देश के हालात को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाएगा।' 

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एनटीएजीआई एवं डब्ल्यूएचओ की बैठक
अधिकारी के मुताबिक मंगलवार को एनटीएजीआई एवं डब्ल्यूएचओ की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में बूस्टर डोज देने के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। अधिकारी का कहना है कि डब्ल्यूएचओ एवं एनटीएजीआई के विशेषज्ञों ने बूस्टर डोज पर दुनिया भर के डाटा का विश्लेषण किया। इस बैठक में स्थानीय डाटा का भी अध्ययन किया गया। स्वास्थ्य विशेषत्र संक्रमण के तरीके, वायरस के व्यवहार, नए वैरिएंट्स एवं वायरल लोड्स, ब्रेकथ्रू एवं रि-इंफेक्शन की भी समीक्षा कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ भी बूस्टर डोज के बारे में नई गाइडलाइन जारी कर सकता है। 

देश में 86.87 लाख 'एहतियाती टीका' लगाया जा चुका है
देश में 10 जनवरी तक 60 साल और उससे ऊपर के लोगों, स्वास्थ्य कर्मियों एवं फ्रंटलाइन वर्कर्स को कुल 86.87 लाख 'एहतियाती टीका' लगाया जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय का अनुमान है कि करीब तीन करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों एवं फ्रंटलाइ वर्कर्स को बूस्टर डोज लगनी है। जबकि 60 साल से ज्यादा उम्र के करीब 2.75 करोड़ लोग हैं जिन्हें अतिरिक्त खुराक दी जानी है।

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बूस्टर डोज पर बंटी है राय
बूस्टर डोज पर विदेश में हुए कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि अतिरिक्त डोज कोरोना से बचाव में कारगर है जबकि कुछ अध्ययन ऐसे भी हैं जिनकी शुरुआती निष्कर्ष ये बताते हैं कि बूस्टर डोज लेने के कुछ सप्ताह बाद लोगों की एंटीबॉडी में कमी आई। अन्य देशों की तुलना में भारत बूस्टर डोज को लेकर उतावलापन नहीं दिखाया है। सरकार कहती आई है कि बूस्टर डोज देने के बारे में फैसला वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर लिया जाएगा। हालांकि, देश में ओमीक्रोन वैरिएंट की वजह संक्रमण के मामलों में आई तेजी के बाद यहां बूस्टर डोज लगाने पर फैसला हुआ।   
 

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