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ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी का निधन, माउंट आबू में ली अंतिम सांस

Updated Mar 27, 2020 | 11:13 IST

ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी का शुक्रवार को निधन हो गया है। दादी के निधन के बाद उनके अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई है।

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ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी का निधन
मुख्य बातें
  • ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी देवी का निधन
  • 104 साल की उम्र में उन्होंने माउण्ट आबू के ग्लोबल हास्पिटल में ली अंति सांस
  • ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी इसी साल 1 जनवरी को 104 वर्ष की हुई थीं

माउंड आबू: 104 साल की उम्र में ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी का निधन हो गया है। उन्होंने माउण्ट आबू के ग्लोबल हास्पिटल में 27 मार्च को तड़के 2 बजे अंतिम सांस ली। दादी जानकी देवी के ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर बताया गया, 'प्रिय मित्रों, प्यार भरे विचारों के साथ, हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि हमारी प्रिय दादी जानकी, ब्रह्म कुमारी की आध्यात्मिक प्रमुख, का 27 मार्च को प्रात: 2 बजे निधन हो गया है।'

उनके निधन पर पीएम मोदी ने भी शोक जताते हुए ट्वीट कर कहा, 'ब्रह्म कुमारी प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी जी ने परिश्रम के साथ समाज की सेवा की। वह दूसरों के जीवन में सकारात्मक अंतर लाने में सबसे आगे रही। महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में उनके प्रयास उल्लेखनीय थे। इस दुख की घड़ी में मेरे संवेदनाएं उनके अनगिनत अनुयायियों के साथ हैं। ओम शांति।' 

राजयोगिनी दादी जानकी इसी साल  1 जनवरी को 104 वर्ष की हुई थीं। 140 देशों में फैले अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्थान का संचालन करने वाली वे दुनिया की पहली मुख्य प्रशासिका हैं। आजादी के पहले भारत के हैदराबाद सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान) में 1916 में जन्मी दादी जानकी ने मात्र चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई की है। बचपन से भक्ति भाव के संस्कार में पली बढ़ी दादी ने योग के जरिए विश्व के 140 से अधिक देशों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इस संस्था के साथ वो 1937 से जुड़ी।

दादी के बारे में कहा जाता है कि वो विश्व की सबसे स्थिर मन वाली महिला थी। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि उनका उद्देश्य केवल लोगों की सेवा करना है और परमपिता परमात्मा के निर्देशानुसार जो मिल रहा है मैं उसे निभा रही हूं। उम्र संबंधी सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि हर दिन परमात्मा का ध्यान करें और हर दिन को आखिरी समझकर जीएं।

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