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कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के बहुमत का आंकड़ा कहां से होगा पूरा, यहां की राजनीति है दिलचस्प

Updated Jul 27, 2019 | 09:56 IST | रवि वैश्य

कर्नाटक में सत्ता को लेकर जारी उठापठक और तमाम राजनीतिक घटनाक्रम के बीच शुक्रवार को येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ले ली है वहीं अब वो सदन में 29 तारीख को बहुमत साबित करेंगे।

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येदियुरप्पा के सामने अब चुनौती सदन में बहुमत परीक्षण को पास करने की है
मुख्य बातें
  • येदियुरप्पा ने कर्नाटक के नए सीएम के पद पर शुक्रवार को शपथ ले ली
  • बीएस येदियुरप्पा को 29 जुलाई को अपना बहुमत साबित करना है
  • जेडीएस के नेता जी टी देवगौड़ा ने कहा कि हमें अब बीजेपी का समर्थन करना चाहिए
  • येदियुरप्पा और बीजेपी एक मजबूत सरकार  गठन की कोशिशों में जुटे हुए हैं

नई दिल्ली। BS Yeddyurappa Karnataka: कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी सरकार के गिरने के बाद अब नई सरकार के गठन की कवायद शुरू हो गई है और बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक के नए सीएम के पद पर शुक्रवार को शपथ ले ली है, उन्हें 29 जुलाई को अपना बहुमत साबित करना है।

शपथ लेने के बाद येदियुरप्पा के सामने अब चुनौती सदन में बहुमत परीक्षण को पास करने की है जिसकी कवायद में येदुयिरप्पा के साथ बीजेपी लगी हुई है। कर्नाटक की राजनीति कई मायनों में खासी दिलचस्प है यहां सत्ता के लिए पहले भी बगावत हो चुकी है और सरकार गठन के लिए हर तरीके के दांवपेंच का इस्तेमाल यहां बखूबी हुआ है। यहां के जनप्रतिनिधि सत्ता का लाभ उठाने के लिए बगावत करने में गुरेज नहीं करते।

वहीं वर्तमान में कर्नाटक की बात करें तो गुरुवार को ही स्पीकर रमेश कुमार ने तीन बागी विधायकों को दल-बदल रोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया और 14 बागी विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है तो इस लिहाज से असेंबली की तादात अभी भी 222 बनी हुई है। बागी विधायकों का साफ कहना है कि वो सदन से अपने इस्तीफे के फैसले पर अडिग बने हुए हैं। 

फिर बात येदियुरप्पा की उनके लिए इस बार बहुमत का आंकड़ा जुटाना खासा मुश्किल नजर नहीं आ रहा है ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि कर्नाटक की सत्ता का गणित कुछ यूं है इस बार तीन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद सदन की संख्या 222 हो गई है यानि इस हिसाब से बीजेपी को 112 विधायकों का समर्थन सरकार गठन के लिए चाहिए होगा। 

लेकिन इसका एक पक्ष और भी है यानि बागी विधायकों की सदन  में मौजूद न रहने से यह संख्या 208 होगी तो उस सूरत में विश्वासमत के लिए बीजेपी को 105 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा। बीजेपी के संख्या बल को देखें तो उसके पास 105 विधायक हैं वहीं दो निर्दलीय विधायकों के साथ बीजेपी के पक्ष में पास 107 विधायकों का साथ है। 

वहीं ताजे घटनाक्रम में अब कांग्रेस और जेडीएस की एकता को लेकर ही सवाल उठ रहे हैं यानि कहा जा रहा है कि जेडीएस में भी फूट पड़ सकती है इस बात को उस वक्त बल मिला जब  जेडीएस के एक कद्दावर नेता जी टी देवगौड़ा ने कहा कि हमें अब बीजेपी का समर्थन करना चाहिए।

जी टी ने अपनी बात के संदर्भ में कहा कि कांग्रेस ने पिछली बार आरोप लगाया था कि जेडीएस बीजेपी की बी टीम है और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जेडीएस उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार किया था, लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार सिर्फ कांग्रेस के साथ गठबंधन की वजह से हुई थी। 

विधायकों ने कहा कि चुनाव में कर्नाटक की जनता ने हम लोगों को इस लिए चुना था कि उन्हें लगा कि जेडीएस बीजेपी का समर्थन करेगी। लेकिन हम लोगों ने कर्नाटक की जनता को निराश किया। अब वो गलती सुधारने का समय है और हमें बीजेपी का समर्थन करना चाहिए और इस मसले पर अंतिम फैसला एच डी कुमारस्वामी को करना है, हालांकि बीजेपी से इस संबंध में किसी तरह की बातचीत नहीं हुई है और  यह सिर्फ विधायकों का विचार है। जी टी देवगौड़ा ने कहा कि विधायकों की बैठक में एच डी कुमारस्वामी ने कहा है कि सभी विधायकों को एक साथ रहना चाहिए।

अब थोड़ा पीछे चलते हैं, दरअसल कांग्रेस जेडीएस गठबंधन में शुरू से ही खटास पड़ गई थी, जेडीएस के नेता भी लगातार सिद्धारमैया पर आरोप लगाते रहे कि वो सरकार के कामकाज में अनावश्यक दखल देते हैं। कई बार एच डी कुमारस्वामी कहते रहे थे कि वो विषपान कर रहे हैं। लेकिन कर्नाटक की जनता के लिए वो काम करते रहेंगे, कई मौके पर पर कुमारस्वामी का दर्द झलका मगर वो हर बार अपनी पीड़ा को छिपाते रहे खैर इस गठबंधन का अंत हो ही गया। 

वहीं कर्नाटक में सरकार गठन की तैयारियों को लेकर बीजेपी खासी सतर्क है, शुक्रवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद येदुयिरप्पा खासे बेफिक्र दिखे येदियुरप्पा ने कहा, 'मैं कर्नाटक की जनता को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया। मेरा मुख्यमंत्री बनना राज्य के लोगों का सम्मान है।' 

वहीं इस सारे घटनाक्रम के बीच येदियुरप्पा और बीजेपी एक मजबूत सरकार  गठन की कोशिशों में जुटे हुए हैं और इस बार इस बात का खास ख्याल रखा जाएगा कि कर्नाटक की सत्ता पर पकड़ मजबूत रखी जाए। 

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