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चुनाव से पहले पार्टी के कील-कांटे दुरुस्त करना चाहती हैं BSP सुप्रीमो मायावती 

Updated Jun 08, 2021 | 13:21 IST

बसपा (BSP) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) विधानसभा चुनाव 2022 से पहले पार्टी के कील-कांटों को दुरुस्त करना चाहती हैं। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं राम अचल राजभर और लालजी वर्मा को निकालकर स्पष्ट संदेश दिया है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
मायावती ने पार्टी के दो बड़े नेताओं को निष्कासित किया है।
मुख्य बातें
  • यूपी में 2022 में होने हैं विधानसभा चुनाव, राजनीतिक दल तैयारी में जुटे
  • पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए मायावती ने राजभर और वर्मा को निकाला
  • राज्य में हुए पिछले चुनावों में बसपा के प्रदर्शन का ग्राफ खराब रहा है

दिल्ली : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने पिछले दिनों पार्टी के दो दिग्गज नेताओं एवं विधायकों राम अचल राजभर और लालजी वर्मा को निष्कासित कर दिया। बसपा सुप्रीमो का यह कदम जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव से ठीक पहले हुआ। यह चुनाव 15 जुलाई को होना है। ये दोनों नेता बसपा से करीब 30 सालों तक जुड़े रहे हैं और इनकी गिनती मायावती के करीबी नेताओं में होती रही है लेकिन पार्टी से निकालने में बसपा सुप्रीमो ने देरी नहीं की। 

पार्टी के दो बड़े नेताओं को निष्कासित किया
राजभर और वर्मा जैसे वरिष्ठ नेताओं पर कार्रवाई कर मायावती ने स्पष्ट संदेश दिया है। बसपा में अनुशासन को लेकर हमेशा गंभीर रहने वाली मायावती को पार्टी विरोधी गतिविधियां पसंद नहीं आईं। पार्टी से निष्कासित इन दोनों नेताओं के बारे में जानकारी मिली थी कि ये दोनों नेता अंबेडकर नगर में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर अलग बैठकें कर रहे हैं। इसके बाद मायावती ने गत तीन जून को दोनों नेताओं को पार्टी से बाहर करने का फरमान जारी कर दिया। 

चुनाव की तैयारी में जुटी हैं बसपा सुप्रीमो
राजनीतिक विश्लेषक मायावती के इस कदम को आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी से जोड़कर भी देख रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि मायावती ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। वह जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक ले रही हैं। बताया जाता है कि आने वाले दिनों में बसपा सुप्रीमो पार्टी गतिविधियों में शामिल रहने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर सकती हैं। 

नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई पड़ी भारी
साल 2017 में मायावती ने वर्मा को विधानसभा में पार्टी का नेता बनाया था। इसके पहले वह राजभर को प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मेदारी दे चुकी थीं। बताया जाता है कि घनश्याम चंद खरवार का कद बढ़ाते हुए उन्हें फैजाबाद एवं गोरखपुर भेत्र का प्रभारी बनाया जाना इन दोनों नेताओं को नागवार गुजरा। इसके बाद अंबेडकर नगर में नेताओं के बीच रसूख एवं वर्चस्व की लड़ाई शुरू हुई। 

गत 9 साल से सत्ता से बाहर है बसपा
यूपी में बीते वर्षों के चुनावों में बसपा का प्रदर्शन खराब रहा है। साल 2007 के विधानसभा चुनाव में मायावती ने विधानसभा की 403 सीटों में से 206 सीटों पर जीत दर्ज की और अपनी सरकार बनाई। इसके बाद के चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन का ग्राफ गिरता रहा है। बसपा यूपी की सत्ता से गत नौ साल से बाहर है। इस दौरान उसके कई दिग्गज एवं वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर भाजपा और अन्य दलों में शामिल हो चुके हैं। साल 2017 के विस चुनाव में बसपा मजह 19 सीटें जीत पाई। इसके बाद से कई कारणों के चलते करीब 11 विधायकों को पार्टी से बाहर निकाला जा चुका है। 

अनुशासन के प्रति गंभीर हैं मायावती
जानकार मानते हैं कि मायावती स्पष्ट कर देना चाहती हैं कि पार्टी और अनुशासन से बड़ा कोई और चीज नहीं है। वह कड़े फैसले लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में सीधा और स्पष्ट संदेश देना चाहती हैं। मायावती के ये कदम पार्टी कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को एक सूत्र में बांधकर रखने का काम करेंगे। मायावती को पता है कि पार्टी में बिखराव और पार्टी विरोधी गतिविधियां आगामी चुनाव में उनका बड़ा नुकसान कर सकती हैं, इसलिए वह अभी से पार्टी के कील-काटों को दुरुस्त करने में जुटी हैं।   

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