- बर्दवान विश्वविद्यालय के प्रो वी सी की नियु्क्ति पर बवाल
- पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा गवर्नर द्वारा नियुक्ति असंवैधानिक
- राज्यपाल जगदीप धनखड़ बोले- शिक्षा को विवाद में घसीटना ठीक नहीं
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में सियासी संग्राम का चेहरा बदलता रहता है। ममता बनर्जी सरकार को लगता है कि केंद्र और राज्यपाल उन्हें काम नहीं करने देते हैं तो राज्यपाल को लगता है कि ममता सरकार संघ राज्य की अवधारणा का माखौल उड़ाती है। चाहे कोरोना का मुद्दा हो या अम्फान तूफान का बंगाल सरकार की शिकायत रही है कि जिस तरह से केंद्रीय मदद मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली। लेकिन ताजा मामला बर्दवान विश्वविद्यालय में प्रो वीसी की नियुक्ति से जुड़ा है।
प्रो वीसी की नियुक्ति पर ममता सरकार को आपत्ति
राज्यपाल ने जिस शख्स की प्रो वीसी पद के लिए नियुक्ति की उस पर शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को आपत्ति है। वो कहते हैं कि जब विश्वविद्यालत राज्य सरकार के पैसे से संचालित हो रहे हैं तो फैसले लेने का अधिकार भी राज्य सरकार है। राज्यपाल की तरफ दखलंदाजी नहीं की जा सकती है। लेकिन राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस समय इस विषय पर विवाद खड़ा करना उचित नहीं है। वो समझते हैं कि चुप रहना ही बेहतर है।
राज्यपाल का फैसला असंवैधानिक
शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का कहना है कि राज्यपाल धनखड़ अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। राज्यपाल ने जिस तरह से बर्दवान विश्वविद्यालय में प्रो वाइस चांसलर (एडमिनिस्ट्रेशन एवं एकेडमिक) की नियुक्ति की है वो असंवैधानिक है। राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से विचार-विमर्श किये बगैर ही राज्यपाल ने नियुक्ति कर दी। ऐसा कैसे हो संभव है इससे भी बड़ी बात यह है कि मीडिया में पहले इसकी जानकारी दी गई।