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अग्निपथ भर्ती में जाति प्रमाण पत्र, विपक्ष को पड़ चुकी है गुमराह करने की आदत

Updated Jul 19, 2022 | 14:40 IST

अग्निपथ योजना में जाति प्रमाण पत्र पर केंद्र सरकार का कहना है कि विपक्ष की आदत पड़ चुकी है आम जनता को गुमराह करने की। भर्ती अभियान उन्हीं प्रक्रियाओं के तहत की जा रही है जो पहले से प्रचलन में है।

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अनुराग ठाकुर, केंद्रीय मंत्री

अग्निपथ योजना के जरिए अग्निवीरों की भर्ती पर नया विवाद उठ खड़ा हुआ है। विपक्षी दलों का आरोप है कि जिस तरह से जाति और धर्म का प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है उससे देश बंट जाएगी। बीजेपी अखंड भारत को विखंडित कर देगी। लेकिन इस तरह के आरोपों को सेना और रक्षा मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है। सेना का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में उन्हीं नियमों का पालन किया जा रहा है जो पहले से प्रचलन में थे। अब इस मुद्दे पर सरकारे ने भी बयान जारी किया है। 

नियम में किसी तरह का बदलाव नहीं
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि  कोई बदलाव नहीं है, विवरण वही हैं जो पहले एकत्र किए गए थे। लाखों युवाओं ने अग्निवीर बनने के लिए आवेदन किया है, इससे पता चलता है कि विपक्ष का दुष्प्रचार, खासकर आप का झूठ देश के सामने आ गया है। आम आदमी पार्टी झूठ की राजनीति करती है। सेना नियम 1954 और रक्षा सेवा नियमन 1987 के अनुसार भर्तियां की जाती हैं। आप जैसे कुछ दल गुमराह करने और झूठ बोलने की कोशिश करते हैं। उन्होंने सच्चाई जाने बिना युवाओं को गुमराह करने की कोशिश की।


सभी याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र की ‘अग्निपथ’ योजना को चुनौती देने वाली सभी जनहित याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का मंगलवार को निर्देश दिया।न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना की एक पीठ ने केरल, पंजाब एवं हरियाणा, पटना और उत्तराखंड उच्च न्यायालय में भी इस योजना के खिलाफ दायर की गईं सभी जनहित याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने या उस समय तक इन पर फैसला निलंबित रखने को कहा जब तक दिल्ली उच्च न्यायालय इसपर निर्णय नहीं कर लेता।


पीठ ने कहा कि इन चार उच्च न्यायालयों के समक्ष याचिकाएं दायर करने वाले याचिकाकर्ता दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में पक्षकार बनने का विकल्प चुन सकते हैं।उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह इसलिए याचिकाएं स्थानांतरित कर रहा है, क्योंकि यह उचित होगा यदि उसे इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय की राय का लाभ मिल पाए।उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय से सभी स्थानांतरित जनहित याचिकाओं के साथ-साथ उसके समक्ष लंबित याचिकाओं पर शीघ्र विचार करने को भी कहा।

14 जून को हुई थी अग्निपथ की घोषणा
सरकार ने 14 जून को ‘अग्निपथ’ योजना की घोषणा की थी। योजना के तहत साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष तक की उम्र के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा। इनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा। सरकार ने बाद में वर्ष 2022 के लिए इस योजना के तहत भर्ती के वास्ते ऊपरी आयु सीमा को 21 वर्ष से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था।

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