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केंद्र ने बंगाल के मुख्य सचिव का ट्रांसफर कर तुंरत दिल्ली बुलाया, PM मोदी पर बिफरी ममता बनर्जी की TMC

Updated May 29, 2021 | 06:34 IST

केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव की सेवाएं मांगी है जिसके बाद ममता बनर्जी और केंद्र सरकार फिर से आमने- सामने हैं। टीएमसी ने इस आदेश की आलोचना की है।

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केंद्र ने बंगाल के मुख्य सचिव का ट्रांसफर कर बुलाया दिल्ली
मुख्य बातें
  • पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को कुछ समय पहले मिला था सेवा विस्तार
  • केंद्र सरकार ने अलपन की सेवाएं मांगते हुए उन्हें तुरंत कार्यमुक्त करने को कहा
  • केंद्र के आदेश पर बिफरी टीएमसी, बोली- क्या ऐसा आजादी के बाद से कभी हुआ?

नयी दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को सेवा विस्तार दिये जाने के मात्र चार दिन बाद केंद्र ने शुक्रवार रात उनकी सेवाएं मांगी और राज्य सरकार से कहा कि वह अधिकारी को तुरंत कार्यमुक्त करे। पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने इस कदम को ‘‘जबरन प्रतिनियुक्ति’’ करार दिया। केंद्र ने साथ ही अधिकारी को सोमवार को दिल्ली में रिपोर्ट करने का निर्देश भी दिया। पश्चिम बंगाल काडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे। हालांकि, केंद्र से मंजूरी के बाद उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया।

ममता ने लिखा था पत्र
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बंदोपाध्याय को कोविड-19 महामारी से निपटने के उनके अनुभव को देखते हुए कम से कम छह महीने का सेवा विस्तार देने का आग्रह किया था। राज्य सरकार को भेजे एक पत्र में कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (काडर) नियम, 1954 के प्रावधानों के अनुसार बंदोपाध्याय की सेवाओं को भारत सरकार में शामिल करने को तत्काल प्रभाव से मंजूरी दे दी है।

सोमवार को रिपोर्ट करने का आदेश

इसमें राज्य सरकार को तत्काल प्रभाव से अधिकारी को कार्यमुक्त करने के लिए कहते हुए, बंदोपाध्याय को 31 मई को सुबह 10 बजे तक कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, नॉर्थ ब्लॉक, नयी दिल्ली को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है। केंद्र के आदेश ने तृणमूल कांग्रेस को नाराज कर दिया और पार्टी ने कहा कि बंदोपाध्याय की सेवाएं मांगने का निर्णय इसलिए आया क्योंकि राज्य के लोगों ने मुख्यमंत्री को भारी जनादेश दिया है।

टीएमसी बिफऱी
तृणमूल कांग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने इसे मुख्य सचिव की ‘‘जबरन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति’’ करार दिया और सवाल किया, ‘क्या ऐसा आजादी के बाद से कभी हुआ है? किसी राज्य के मुख्य सचिव की जबरन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति? मोदी-शाह की भाजपा और कितना नीचे गिरेगी?’ तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि यह फैसला ममता बनर्जी के ‘‘सच्चे सिपाही’’ बंदोपाध्याय के अच्छे काम को पटरी से उतारने के लिए लिया गया है। घोष ने कहा, ‘ऐसे समय में जब बंगाल कोविड महामारी और चक्रवात यास से हुई तबाही का सामना कर रहा है, केंद्र सरकार राज्य के लोगों को और परेशान करने की कोशिश कर रही है। वे बंगाल के लोगों के दुश्मन की तरह काम कर रहे हैं।’

यह आदेश ऐसे दिन आया है जब प्रधानमंत्री ने 'यास' चक्रवात से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्यों का दौरा किया।
बनर्जी ने प्रधानमंत्री के साथ कलाईकुंडा एयरबेस पर एक संक्षिप्त बैठक की जहां उन्होंने चक्रवात के बाद की स्थिति को लेकर एक ज्ञापन सौंपा।

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