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चंद्रशेखर : 'युवा तुर्क' जो अचानक बन गया सबसे बड़े लोकतंत्र का PM

Updated Jul 08, 2021 | 06:22 IST

चंद्रशेखर सीधे प्रधानमंत्री बने। पीएम बनने से पहले वह मात्र सांसद थे। वह कभी किसी राज्य के मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं रहे लेकिन एक दिन वह अचानक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का पीएम बन गए।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
राजनीति का ककहरा चंद्रशेखर ने राम मनोहर लोहिया से सीखा।

नई दिल्ली : देश के 8वें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह की आज पुण्यतिथि है। आठ महीने के सीमित कार्यकाल (10 नवंबर 1990 से 8 जुलाई 1991)  तक देश की कमान संभालने वाले चंद्रशेखर ने भारतीय राजनीति के इतिहास पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी। कांग्रेस के समर्थन से सरकार चलाने वाले चंद्रशेखर ज्यादा दिनों तक सत्ता में नहीं रह सके। भारतीय राजनीति में ‘युवा तुर्क’ नेता के रूप में पहचान रखने वाले चंद्रशेखर की सरकार को 'कठपुतली' सरकार के रूप में याद किया जाता है। चंद्रशेखर की सरकार लोकसभा में अपना बजट भी पारित नहीं कर पाई। अर्थव्यवस्था की बुरी हालत के चलते चंद्रशेखर को देश का 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा। इसके लिए उनकी काफी आलोचना हुई।

पीएम बनने से पहले मात्र सांसद थे चंद्रशेखर
चंद्रशेखर सीधे प्रधानमंत्री बने। पीएम बनने से पहले वह मात्र सांसद थे। वह कभी किसी राज्य के मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं रहे लेकिन एक दिन वह अचानक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का पीएम बन गए। चंद्रशेखर का जन्म 1 जुलाई 1927 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के इंब्राहिमपट्टी गांव में एक किसान परिवार में हुआ। बलिया से स्नातक करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विवि से राजनीति विज्ञान में एमएक किया। चंद्रशेखर की राजनीति की शुरुआत छात्र राजनीति से हुई। छात्र जीवन में उनकी पहचान एक फायरब्रांड नेता की बन चुकी थी। 

लोहिया के थे करीबी
राजनीति का ककहरा उन्होंने राम मनोहर लोहिया से सीखा। वे लोहिया के काफी करीबी रहे। चंद्रशेखर की सियासत की शुरुआत सोशलिस्ट पार्टी से हुई। बाद में कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर उनकी आलोचना भी हुई। 1989 लोकसभा चुनाव में वह बलिया और बिहार के महराजगंज से भी चुने गए। चंद्रशेखर ने जब देश की सत्ता संभाली उस समय राजनीति संक्रमण के दौर से गुजर रही थी। राजनीतिक अस्थिरता के इस दौर में अर्थव्यवस्था कराह रही थी।  

कांग्रेस में रहते हुए भी उसका विरोध किया
चंद्रशेखर कांग्रेस में रहते हुए भी कांग्रेस की जन विरोधी नीतियों एवं आपातकाल का विरोध किया। उन्होंने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन को अपना समर्थन दिया। सत्ता की राजनीति के विरोधी चंद्रशेखर आपातकाल के दौरान गिरफ्तार हुए। वह जीवनभर लोकतांत्रिक मूल्यों एवं समाजवादी नीतियों की लड़ाई लड़ते रहे। चंद्रशेखर ने स्वर्ण मंदिर में इंदिरा गांधी की कार्रवाई का भी विरोध किया था। 

कांग्रेस के समर्थन से पीएम बने
साल 1990 में विश्वनाथ प्रसाद सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद चंद्रशेखर कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने। चंद्रशेखर ने पीएम अपने पीएम बनने के बारे में कहा है कि एक दिन अचानक आरके धवन उनके पास आए और बोले कि राजीव गांधी आपसे मिलना चाहते हैं और जब चंद्रशेखर, धवन के यहां गए तो राजीव ने उनसे पूछा कि क्या आप सरकार बनाएंगे। इस पर चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार बनाने के लिए उनके पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है। इस पर राजीव गांधी ने कहा कि आप सरकार बनाइए, हम आपको बाहर से समर्थन देंगे। 

वित्त सचिव जालान को फटकार लगाई
सरकार बनाने के तीसरे दिन चंद्रशेखर ने वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में वित्त सचिव विमल जालान ने उन्हें बताया कि देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। सरकार को अपना खर्चा चलाने के लिए आईएमएफ और विश्व बैंक से कर्ज लेना पड़ेगा। इस पर चंद्रशेखर ने जालान को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की यह स्थिति एक दिन में नहीं बनी होगी। चंद्रशेखर पूछा कि इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए। जालान ने इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए। इसके अगले दिन चंद्रशेखर ने उन्हें पद से हटा दिया।  

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