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दो राज्यों की सियासी खींचतान से राजस्थान में बढ़ रहा है अंधेरा, जानिए क्या है वजह

Updated Jun 23, 2022 | 11:18 IST

राजस्थान में बिजली संकट के लिए छत्तीसगढ़ सरकार जिम्मेदार है। अब आप सोच रहे होंगे यह कैसा सवाल है। दरअसल राजस्थान सरकार, छत्तीसगढ़ में अपने कोयला भंडारों में खनन नहीं करा पा रही है। इसकी वजह से स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी असर पड़ रहा है। लोगों की मांग है कि आपसी तनातनी को समाप्त कर इस दिशा में आगे बढ़ा जाए ताकि रोजगार के अवसर पैदा हों।

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राजस्थान में बिजली संकट के लिए छत्तीसगढ़ जिम्मेदार,जानिए वजह
मुख्य बातें
  • राजस्थान में भीषण बिजली संकट
  • छत्तीसगढ़ में कोल माइनिंग करने में राजस्थान असमर्थ
  • कोयला खदान में कई तरह के अड़चन के आरोप

राजस्थान राज्य अब तक के सबसे भीषण बिजली संकट के कगार पर है जिससे राज्य को पूर्ण अंधकार के साथ और आर्थिक अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि राजस्थान सामने इतनी बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। इस सवाल का जवाब राजस्थान में नहीं छत्तीसगढ़ में है। दरअसल छत्तीसगढ़ में राजस्थान का कोयला भंडार है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार खनन से संबंधित सभी बाधाओं को दूर करने और असमर्थ रही है और उसका असर राजस्थान पर हो रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकारों ने अपनी-अपनी मंजूरी दे दी है। इस तनातनी से परेशान स्थानीय लोगों का कहना है कि आपसी राजनीति को तिलांजलि देकर आगे बढ़ने की जरूरत है। 

दोनों राज्यों के आर्थिक विकास में मदद-स्थानीय लोग
स्थानीय लोगों का कहना है कि राजस्थान सरकार उनके इलाके में आजीविका, और दूसरे लाभ देने की दिशा में कोशिश कर रही है। लगभग 7000 स्थानीय परिवारों को खनन के अवसरों और निर्मित श्रम अवसरों से सीधे लाभान्वित होने की संभावना है,छत्तीसगढ़ राज्य सरकार राजस्थान के लिए खनन शुरू करने के लिए वातावरण नहीं बना रही है। गरीब आदिवासी पहले कोरोना महामारी के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, और अब राज्य की यह लापरवाही क्षेत्र के आदिवासियों के लिए घोर दुख और वित्तीय नुकसान पैदा कर रही है।

राजस्थान अपनी कोयला और बिजली की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा। खनन गतिविधियों से छत्तीसगढ़ को राजस्व की प्राप्ति होगी।क्षेत्र में हजारों आदिवासियों और स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराने के लिए क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम और आजीविका के अवसर पैदा होंगे। यह नौकरी के अवसरों के लिए आदिवासियों और  स्थानीय लोगों के आस-पास के शहरों में प्रवास का मुकाबला करेगा।

आरआरवीयूएनएल ने 4,400 मेगावाट के थर्मल पावर स्टेशनों को चालू करने में आक्रामक निवेश किया है जिन्हें छत्तीसगढ़ में अपने परसा ईस्ट कांता बसन (पीईकेबी), परसा और कांटे एक्सटेंशन कोयला ब्लॉकों से कोयला स्रोत माना जाता है। केंद्र ने 2015 में राजस्थान में 4340 मेगावाट बिजली उत्पादन इकाइयों के लिए परसा पूर्व-कांता बसन (पीईकेबी) में 15 एमटीपीए और छत्तीसगढ़ के परसा में 5 एमटीपीए क्षमता का आवंटन किया था। पीईकेबी कोयला ब्लॉक के पहले चरण में खनन मई में पूरा हुआ था। .छत्तीसगढ़ सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि क्षेत्र में खनन तुरंत और जल्दी शुरू हो।

राजस्थान का कोल भंडार लेकिन खनन में मुश्किल
राजस्थान के पास छत्तीसगढ़ में कोयला भंडार है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की निष्क्रियता की वजह से खनन नहीं हो पा रहा है और उसकी वजह से राजस्थान में बिजली संकट के गहराने की संभावना है। राजस्थान के पास अपने बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए मुश्किल से 10-15 दिनों का कोयला है। वर्तमान समय में राज्य प्रति दिन 10 घंटे से अधिक ब्लैकआउट का सामना कर रहा है। कोयले की कमी के कारण बिजली की कमी है और उसका असर आम नागरिकों के साथ-साथ उद्योगधंधों पर भी है। बता दें कि ये कोयला ब्लॉक बहुत पहले राजस्थान को दिए गए थे और राजस्थान ने इन कोयला ब्लॉकों की उपलब्धता के आधार पर बिजली से संबंधित सभी  योजनाएं बनाईं। दिलचस्प बात यह है कि दोनों राज्य कांग्रेस द्वारा संचालित हैं। लेकिन समन्वय और सहयोग की कमी नजर आ रही है।इस तरह की स्थिति से तुरंत निपटा जाना चाहिए। 

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