- मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक लिपुलेख के पास पीएलए की एक बटालियन तैनात हुई है
- तनाव कम करने का दावा करने वाला चीन एलएसी पर बढ़ा रहा सैनिकों की तादाद
- गलवान घाटी में 15 जून की रात हुई हिंसा में एक कर्नल और 19 जवान शहीद हुए
नई दिल्ली : चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा। लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति कायम करने के लिए उसका विदेश मंत्रालय लंबी-लंबी बातें और दावे करता है लेकिन उसकी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) उसके उलट काम करती है। लद्दाख के तनाव वाले इलाके से चीन के पीछे हटने के दावे की भारत सरकार ने पिछले दिनों पोल खोल दी। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने कहा कि लद्दाख में जिन क्षेत्रों में चीन पीछे हटने का दावा कर रहा है उन इलाकों से वह पूरी तरह पीछे नहीं हटा है।
मीडिया रिपोर्टों में घटना की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले से कहा गया है कि चीन ने उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के पास पीएलए की एक बटालियन पहुंचाई है। यह स्थान वास्तविक नियंत्रण रेखा के नजदीक है। लद्दाख सेक्टर के बाहर एलएसी के समीप इस स्थान पर पिछले एक सप्ताह में चीनी सेना की हलचल बढ़ी है।
लद्दाख में एलएसी के पास 40 हजार चीनी सैनिक
कुछ दिनों पहले रिपोर्ट आई है कि चीन लद्दाख के समीप एलएसी के अपने हिस्से में सैनिकों का भारी जमावड़ा किया है। इन सैनिकों की मदद करने के लिए बख्तरबंद सैन्य वाहन, बड़े हथियार और भारी मशीने मौजूद हैं। समाचार एजेंसी एएनआई ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि चीन ने एलएसी के पास करीब 40 हजार जवानों को तैनात किया है। भारतीय सेना के अधिकारी भी चीनी सैनिकों के जमावड़े से इंकार नहीं करते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है 'एलएसी के समीप लिपुलेख पास, अरुणाचल प्रदेश एवं नार्थ सिक्किम से लगे सीमावर्ती इलाकों में पीएलए की मौजूदगी बढ़ी है।'
लिपुलेख के पास बटालियन तैनात की
'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक सेना के एक अन्य अधिकारी का कहना है कि सीमा से कुछ दूरी पर पीएलए ने अपने करीब 1000 सैनिकों को पहुंचाया है। अधिकारी ने कहा, 'यह संकेत है कि चीन की फौज तैयार है।' सैन्य अधिकारी का कहना है कि एलएसी पर चीनी सैनिकों के बराबर भारत ने भी अपनी फौज की संख्या बढ़ाई है और नेपाल के लिपुलेख सहित अन्य इलाकों पर दावों के बाद उस पर करीबी नजर रखी जा रही है।
गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसा
गलवान घाटी में गत 15 जून की रात भारत और चीन के सैनिकों में खूनी संघर्ष हुआ। इस टकराव में भारत के 20 जवान शहीद हुए। बताया गया कि इस संघर्ष में चीन के दोगुने सैनिक हताहत हुए लेकिन बीजिंग की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया। गलवान घाटी की घटना के बाद लद्दाख सहित पूरे एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव है। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों की ओर से बीते दिनों राजनयिक एवं सैन्य कमांडर स्तर पर कई दौर की बातचीत हुई है लेकिन सीमा पर जारी गतिरोध का समाधान अभी नहीं निकल सका है। भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर पर 5वीं बैठक होनी है।
नेपाल के जरिए भारत को घेरना चाहता है चीन
नेपाल कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख इलाकों को अपना बनाते हुए इन्हें अपने नक्शे में शामिल किया है। नेपाल के इस कदम के बाद नई दिल्ली और काठमांडू के रिश्ते असहज हो गए हैं। भारत ने कहा है कि मौजूदा गतिरोध के लिए नेपाल जिम्मेदार है और दोबारा बातचीत शुरू करने के लिए उसकी ओर से उपयुक्त माहौल बनाए जाने की जरूरत है। नई दिल्ली ने भारतीय इलाकों पर नेपाल के दावों को 'कृत्रिम दावों का विस्तार' बताकर खारिज कर दिया। हाल के दिनों में नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली के बयानों ने भी दोनों देशों के रिश्तों में तनाव लाने का काम किया है।