- चीन सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करके विवादित क्षेत्रों में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है।
- नए कानून के जरिए चीन तिब्बत में खास तौर से जनसांख्यिकी बदलाव लाना चाहता है।
- चीन ऐसे तरीके शिनचियांग इलाके में माओ के समय अपना चुका है। और अब शी जिनपिंग उसी राह पर चल रहे हैं।
China New Land Border Law: भारत ने चीन के 'लैंड बॉर्डर लॉ' कानून पर चिंता जताई है। सरकार ने नए कानून को 'एकतरफा कदम' बताते हुए कहा है कि 'चीन इस कानून से सीमा प्रबंधन को लेकर मौजूदा द्विपक्षीय प्रबंधन पर असर डालेगा, साथ ही सीमा को लकर हमारी चिंताओं को भी प्रभावित करेगा।' साफ है नए कानून ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी है, खास तौर पर ऐसे समय, जब पहले से ही लद्धाख में गलवान घाटी के पास दोनों देशों के बीच पिछले एक साल से सीमा को लेकर विवाद बढ़ गया है।
सीमा से संबंधित इस तरह का कानून चीन, अपने आधुनिक इतिहास में पहली बार लेकर आया है। नए कानून के तहत अब चीन सरकार ने 14 देशों से जुड़ी अपनी जमीनी सीमा को लेकर नियम तय कर दिए हैं। नए कानून को 'लैंड बॉर्डर लॉ' कहा गया है और यह 1 जनवरी 2022 से लागू होगा। वैसे तो यह कानून चीन की सीमा से सटे 14 देशों पर लागू होंगे। लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर ही होने की आशंका है। ऐसे में पिछले 17 महीने से दोनों देशों के बीच बनी तनाव की स्थिति को सामान्य होने की संभावना कम होती नजर आ रही है।
भारत के लिए क्या है चिंता
चीन की न्यूज एजेंसी Xinhua के अनुसार 23 अक्टूबर को लैंड बॉर्डर लॉ' को मंजूरी दी गई है। इसके तहत चीन की स्वायत्ता और क्षेत्रीय अखंडता को पवित्र करार दिया गया है। इस कानून के तहत अब सीमाओं से जुड़े मामलों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पीपुल्स आर्म पुलिस (पीएपी) को अतिक्रमण, घुसपैठ या किसी तरह के हमले से निपटने का अधिकार दिया या है। नए कानून में जरुरत पड़ने पर सीमाओं को बंद करने के भी प्रावधान रखे गए हैं।
-नए कानून में चीन अपनी सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास कर सकेगा। इसके अलावा सार्वजनिक सेवाओं का भी विस्तार किया जाएगा। आधिकारिक तौर पर ऐसा करने का उद्देश्य वहां पर रहने वाले चीन के नागिरकों के जीवन को बेहतर बनाना है। लेकिन इस फैसले से चीन अपनी विवादित सीमाओं पर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास कर सकेगा। यानी वह डोकलाम, गलवान जैसे विवादित क्षेत्रों में भी इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर सकेगा। और उन इलाकों पर अधिकार जताएगा।
-नए कानून के तहत अब सीमावर्ती इलाकों पर रहने वाले नागरिकों और उस क्षेत्र के अधिकारियों को भी बॉर्डर की सुरक्षा जिम्मेदारी मिलेगी। जिसका असर भी भारत पर होगा।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, सेंटर ऑफ ईस्ट एशियन स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर रविप्रसाद नारायणन ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया कि चीन के इस फैसले को दो तरह से देखना चाहिए। एक तो वहां की आतंरिक राजनीति दूसरा उसकी विस्तारवादी नीति। जहां तक आंतरिक नीति की बात है तो शी जिनपिंग की गतिविधियों को हमें माओ (Mao) से जोड़कर देखना चाहिए।
माओ जब भी अपने देश में कमजोर होते थे, तो वह पड़ोसी देशों के साथ विवाद या युद्ध की स्थिति पैदा कर देते थे। उन्हीं के समय ईस्ट तुर्कमेनिस्तान पर कब्जा कर लिया गया था, जो आज शिनचियांग कहलाता है। और वहां के उइगर मुस्लिम लोगों पर भारी अत्याचार के मामले सामने आते रहते हैं। इसी तरह तिब्बत को कब्जे में लिया गया। अब शी जिनपिंग भी वैसा ही कर रहे हैं। आंतरिक स्तर पर शी जिनपिंग के खिलाफ ,पीएलए में नाराजगी है। इसके अलावा शी जिनपिंग का एकाधिकारवादी रवैया भी उनके खिलाफ नाराजगी की वजह बन रहा है। इसे नाराजगी से ध्यान भटकाने के लिए ही शी जिनपिंग ने नए कानून को लागू करने का अहम फैसला किया है।
अब दूसरी वजह उसकी विस्तारवादी नीति है। जिसमें वह सीमावर्ती इलाकों को अपने कब्जे में लेना चाहता है। जहां तक नए कानून के असर की बात है, इसकी वजह से चीन सीमावर्ती इलाके में जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) में बदलाव करना चाहता है। जिसका सबसे ज्यादा असर तिब्बत पर पड़ेगा। इसके अलावा सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी करेगा। ऐसा कर,वह चीन के उन इलाकों से लोगों को सीमावर्ती इलाकों में बसाएगा, जो बेहद ठंडे इलाके में रहते हैं। ये लोग उनके खराब हालात को देखते हुए बेहद आसानी से सीमावर्ती इलाकों में बस जाएंगे। जिसके बाद वह इन क्षेत्रों में अपने अधिकार को साबित करने की कोशिश करेगा। साफ है कि भारत के लिए चुनौतियां बढ़ने वाली हैं।
चीन की भारत सहित इन देशों के साथ है जमीनी सीमा
चीन की 14 देशों के साथ 22000 किलोमीटर से ज्यादा की जमीनी सीमा है। इसमें भारत और भूटान के साथ उसका प्रमुख रुप से सीमा को लेकर विवाद है। भारत, भूटान के अलावा चीन की सीमा नेपाल, म्यांमार,मंगोलिया, रूस, कजाखिस्तान, वियतनाम, किर्गीस्तान,ताजिकिस्तान,अफगानिस्तान, पाकिस्तान (पीओके का हिस्सा), लाओस से भी जुड़ी हुई हैं।