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गेहूं पर भारत के साथ लेकिन पैंगोंग में चालबाजी, क्या खेल कर रहा है चीन

Updated May 19, 2022 | 20:31 IST

India-China Relation: ड्रैगन एक तरफ तो भारत का समर्थन कर, दुनिया के सामने चीन और भारत की बढ़ती करीबी का ढिढोरा पीटना चाहता है। वहीं सीमा विवाद में कोई नरमी न दिखाकर, अपने असलियत को भी दिखा रहा है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
चीन की भारत को लुभाने की कोशिश
मुख्य बातें
  • चीन पूर्वी लद्दाख के पैंगोग त्सो झील के आसपास अपने कब्जे वाले क्षेत्र में दूसरा पुल बना रहा है।
  • गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले पर चीन का रूख सकारात्मक रहा है।
  • शी जिनपिंग को जीरो कोविड-नीति की वजह से चीन में सरकार के खिलाफ लोगों का विरोध भी बढ़ा है।

India-China Relation:चीन आजकल भारत के साथ नया खेल कर रहा है। जिसमें वह एक तरफ तो भारत के साथ खड़ा होता दिखना चाहता है। तो दूसरी तरफ सीमा विवाद को भी ताजा रखना चाहता है। यानी ड्रैगन एक तरफ तो भारत का समर्थन कर, दुनिया के सामने चीन और भारत की बढ़ती करीबी का ढिढोरा पीटना चाहता है। वहीं सीमा विवाद में कोई नरमी न दिखाकर, अपनी जनता को भी खुश रखना चाहता है। चीन ने कुछ समय पहले रूस और यूक्रेन युद्ध में भारत के रूख का समर्थन किया था। और अब गेहूं पर निर्यात प्रतिबंध लगाने के फैसले का भी समर्थन किया है। लेकिन अभी जब चीन के बदले रवैये की बातें हो रही थी, तभी पैंगोंग झील की नई तस्वीरों ने चीन की साजिश का भी खुलासा कर दिया है।

पैगोंग झील में क्या कर रहा है चीन

ताजा सेटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन, यु्द्ध के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण पूर्वी लद्दाख के पैंगोग त्सो झील के आसपास अपने कब्जे वाले क्षेत्र में दूसरा पुल बना रहा है। तस्वीरों से साफ है कि नया पुल चीनी सेना के लिए इस क्षेत्र में अपने सैनिकों को जल्द पहुंचाने में मददगार साबित होगा। अब ऐसे में सवाल उठता है कि एक तरफ चीन, वैश्विक मंच पर भारत के फैसलों का समर्थन कर रहा है तो दूसरी तरफ वह सीमा पर अपनी हरकतों से बाज क्यों नहीं आ रहा है। 

तो इसका सीधा जवाब यही है कि चीन ने अपने बुनियादी रूख में कोई बदलाव नहीं किया है। वह केवल बदलती अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए कुछ मसलों पर भारत के साथ खड़ा दिखना चाहता है। जहां तक सीमा विवाद की बात है तो वह पिछले दो साल से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच कई स्थानों को लेकर बना हुआ है। और दोनों देशों की सेनाएं अपने क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में लगी हुई हैं। इसके अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए घरेलू स्तर पर मौजूदा स्थितियां बेहद सामान्य नहीं है। शी जिनपिंग की जीरो कोविड नीति से जहां लोगों की काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है, वहीं आर्थिक विकास पर भी असर हुआ है। लॉकडाउन से फैक्ट्री बंद रही हैं। लोगों की खरीद क्षमता घटी है। इसी का असर है कि S&P ने चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 2022-23 के 0.70 फीसदी घटाकर 4.2 फीसदी कर दिया है। जाहिर है ऐसे में शी जिनपिंग घरेलू स्तर पर सीमा विवाद पर अपने को कमजोर नहीं दिखा सकते हैं।

फिर दूसरे मामले में समर्थन क्यों

असल में हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध और गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले पर चीन का रूख सकारात्मक रहा है। चीन जहां रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के तटस्थ रूख, पर चीन भारत के पक्ष में ही खड़ा दिखाई दिया। इसके जरिए चीन की दुनिया के सामने यह दिखाने की कोशिश रही कि भारत-रूस-चीन एक साथ है। क्योंकि भारत और पश्चिमी देशों के साथ मिलकर बने Quad ने नई चुनौती खड़ी कर दी है। ऐसे में जब G-7 देशों ने भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले की आलोचना की तो चीन का सरकारी मीडिया भारत के फैसले के साथ खड़ा दिखाई दिया।

भारत के गेहूं पर मचा बवाल, पश्चिमी देश नाराज तो चीन भारत के साथ,जानें मामला

असल में चीन ने भारत का समर्थन कर भविष्य के लिए रास्ता खोलने की कोशिश की है, जिससे कि आने वाले समय में जब उसे कूटनीतिक मदद की जरूरत पड़े तो भारत भी उनका समर्थन करें। इसके अलावा चीन पर सोयाबीन, खाद की जमाखोरी के आरोप लगे हैं। ऐसे में आने वाले समय में अगर चीन के खिलाफ पश्चिमी देश कोई बयान दें, तो भारत का उसे समर्थन हासिल हो सके।

इसके अलावा चीन जून में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में यह चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उसमें शिरकत करें। क्योंकि अगर ऐसा होता है तो पूर्वी लद्धाख के विवाद के बाद पहली बार मोदी और जिनपिंग आमने-सामने होंगे। हालांकि ऐसा होने की संभावना बेहद कम है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मई में होने वाले क्वॉड सम्मेलन में भाग लेने के लिए जापान जाने वाले हैं। जाहिर है चीन ऐसे में कूटनीति के जरिए भारत को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इस मामले में सबसे बड़ी बाधा दोनों देशों के बीच पिछले 2 साल से पूर्वी लद्दाख में चल रहा सीमा विवाद है।

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