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नागरिकता कानून: हिंसक प्रदर्शन पर पीएम मोदी दुखी, कहा- किसी भी भारतीय को चिंतित होने की जरूरत नहीं

Updated Dec 16, 2019 | 15:04 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध असम से शुरू होकर देशव्यापी हो गया है। यह प्रदर्शन हिंसक हो गया है। पीएम ने देशवासियों से अपील की किसी को इस कानून से चिंतित होने की जरूरी नहीं है।

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नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसक प्रदर्शन में पीएम मोदी की अपील

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध हिंसक रूपधारण कर लिया है। असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों से उठा विरोध देश के कई विश्वविद्यालयों तक पहुंच चुका है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन हिंसक रूप ले लिया। दिल्ली में कई बसों में आग लगा दी गई। पुलिस ने कार्रवाई करते छात्रों की पिटाई की।आईआईटी के छात्रों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का सोमवार को विरोध किया। आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास और आईआईटी बॉम्बे अक्सर प्रदर्शनों में शामिल नहीं होते और इनसे दूर ही रहते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने छात्रों पर पुलिस कार्रवाई का विरोध किया है। प्रदर्शन के हिंसक होते देख पीएम मोदी ने ट्वीट किया, संशोधित नागरिकता कानून पर हिंसक प्रदर्शन दुखद एवं बेहद निराशाजनक हैं। 

पीएम ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून स्वीकार्यता, सौहार्द, करुणा एवं भाईचारे की भारत की सदियों पुरानी संस्कृति की व्याख्या करता है। हम निहित स्वार्थ वाले समूहों को हमें बांटने और गड़बड़ी पैदा करने की इजाजत नहीं दे सकते। नए नागरिकता कानून को लेकर किसी भी भारतीय को चिंतित होने की जरूरत नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैं अपने भारतीय भाई-बंधुओं को स्पष्ट रूप से आश्वस्त करना चाहता हूं कि संशोधित नागरिकता कानून से भारत के किसी भी धर्म का नागरिक प्रभावित नहीं होगा। मेरी अपील है कि सभी लोग अफवाह और झूठ से दूर रहें। पीएम ने कहा कि  बहस, चर्चा और असंतोष लोकतंत्र के आवश्यक अंग हैं, लेकिन कभी भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचा है और सामान्य जीवन की अशांति हमारे लोकाचार का हिस्सा है।

उधर कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के खिलाफ पुलिस की बर्बरता की निंदा की और घटना की न्यायिक जांच की मांग की। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी और सीपीआई नेता डी राजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की जो संशोधित नागरिकता कानून का विरोध कर रहे थे।

आजाद ने कहा, हम जामिया मिल्लिया में पुलिस के घुसने और छात्रों पर बल प्रयोग किए जाने की निंदा करते हैं। उन्होंने सवाल किया, जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनुमति नहीं दी, तो दिल्ली पुलिस जामिया में कैसे घुस गई। आजाद ने सवाल किया कि पुलिस जामिया की लाइब्रेरी और शौचालयों में कैसे घुस सकती है। उन्होंने कहा कि हम जामिया में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की न्यायिक जांच की मांग करते हैं। आजाद ने कहा कि पूरा देश इस असंवैधानिक कानून के खिलाफ है और बीजेपी का यह आरोप बिल्कुल निराधार है कि छात्रों के बीच असंतोष के पीछे कांग्रेस का हाथ है।

इस दौरान येचुरी ने छात्रों के खिलाफ हुई कार्रवाई को लोकतंत्र में अस्वीकार्य बताया और कहा कि संशोधित नागरिकता कानून को धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता और यह हिंदू-मुसलमान का मामला नहीं है। डी राजा ने सवाल किया कि दिल्ली पुलिस केंद्र के अधीन आती है, तो जामिया के छात्रों पर बल प्रयोग को लेकर गृह मंत्री अमित शाह की क्या प्रतिक्रिया है।

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