- ओडिशा सरकार ने लिया है मंगू मठ को ध्वस्त करने का फैसला
- गुरु नानक देव से जुड़ा है पुरी का मंगू मठ
- सीएम अमरिंदर सिंह ने मठ गिराने के फैसले को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
चढ़ीगढ़: पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखा है और उनसे पुरी के मंगू मठ को ध्वस्त करने के फैसले को वापस लेने की अपील की है। अमरिंदर सिंह ने शनिवार को यह पत्र नवीन पटनायक को लिखा। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव इस मठ से जुड़े रहे हैं और इसी बात को ध्यान में रखते हुए अमरिंदर सिंह की ओर से नवीन पटनायक को पत्र लिखा गया है। सिखों के लिए महत्वपूर्ण कहे जाने वाले इस मठ को गिराने के फैसले को अमरिंदर सिंह ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। गुरु नानक अपने धर्म का प्रचार करते हुए इस मठ में गए थे।
अमरिंदर सिंह ने कहा, 'यह बहुत चौंकाने वाली बात है कि जब पूरी दुनिया में सिखों के प्रथम गुरू के 550वां प्रकाश पर्व मनाने की तैयारी हो रही है, तब सिख धर्म और जगन्नाथ मंदिर के बीच संबंधों के प्रतीक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण मंगू मठ को ओडिशा सरकार ने ध्वस्त करने का फैसला किया है ।'
पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के 75 मीटर के दायरे में आने वाले ढांचों और पुरातन इमारतों में से यह मठ भी एक है। अमरिंदर सिंह ने अपील की है कि पुरी के मंगू मठ को गिराए जाने के फैसले को वापस लिया जाए। 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसके आस पास मौजूद ढांचों को गिराया जा रहा है। ओड़िशा सरकार ने इस बारे में निर्णय लिया है। सिख उपदेशक और उदासी संप्रदाय के धुआरी प्रमुख भाई अलमस्त ने 1615 में मंगू मठ की स्थापना की थी । गुरू तेग बहादुर भी 1670 में इस मठ में गए थे।