- कोविड-19 के संकट से निपटने के लिए सीएम आदित्यनाथ ने लिए निर्णायक फैसले
- मुस्तैदी एवं सक्रियता के चलते कोविड-19 के मामलों पर नियंत्रण पाने में मिली सफलता
- प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए योगी सरकार ने की अनूठी पहल
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है तो इसकी चुनौतियां एवं समस्याएं भी बड़ी और अलग तरह की हैं। इतने बड़े प्रदेश की कमान संभालने के लिए मजबूत इरादे, दृढ़ संकल्प और साफ नीत एवं नीयत की जरूरत होती है। पिछले तीन साल को देखें तो यूपी बहुत बड़े बदलाव के दौर से गुजरा है। प्रदेश के बारे में लोगों की धारणा अब बदल गई है। सूबे की कमान संभालने के बाद राज्य को विकास एवं तरक्की के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो इरादे एवं संकल्प दिखाए हैं उससे उनकी छवि एक प्रखर नेतृत्वकर्ता एवं कुशल प्रशासक के रूप में उभरी है। विकास के सभी मोर्चों पर तेजी से उभरने वाले राज्य पर कोविड-19 का संकट आया तो जरूर है लेकिन योगी सरकार जिस तैयारी, सूझबूझ, मुस्तैदी एवं सक्रियता से इस महामारी का सामना कर रही है वह एक मिसाल बनी है।
आदित्यनाथ ने अपनी अलग छाप छोड़ी
यह सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अथक परिश्रम एवं प्रदेश को आगे ले जाने की उनकी सोच से ही संभव हो सका है। एक कुशल प्रशासक एवं नेतृत्वकर्ता की सभी खूबियां लोग योगी आदित्यनाथ के अंदर देख रहे हैं। कोविड-19 संकट के समय देश के सबसे बड़े राज्य को संभालने के लिए जिस तरह के निर्णायक फैसलों एवं नेतृत्व की जरूरत थी, योगी आदित्यनाथ ने तत्परता एवं सक्रियता से उन्हें लागू किया। अपनी नेतृत्व कुशलता से आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। आज उनकी कुशलता, प्रशासनिक क्षमता, कार्यशैली की प्रशंसा पूरे देश में हो रही है। वह एक कुशल प्रशासक के रूप में उभरे हैं। इन तीन सालों में सबे में उन्होंने विकास का जो नया मॉडल तैयार किया है उसे 'योगी मॉडल' नाम से जाना जा रहा है।
योगी का अनुसरण अन्य राज्यों ने किया
जननायक की असली पहचान संकट के समय होती है। कोरोना संकट के समय योगी ने जिस तत्परता एवं सक्रियता का परिचय दिया है वह पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। कोरोना की चुनौती से योगी जिस तरह से निपट रहे हैं वह दूसरे राज्यों के लिए नजीर बना है। दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों एवं प्रवासी मजूदरों, कामगारों को निकालने की सबसे पहले शुरुआत आदित्यनाथ ने की जिसका अनुसरण बाकी राज्यों ने बाद में किया। गरीबों एवं प्रवासी मजदूरों के लिए आयोग का गठन कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की पहल करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है। राज्य को संकट के दौर से निकालने और विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने की योगी में जो छटपटाहट है वह उन्हें सबसे अलग खड़ा करती है। कोरोना पर नजर रखने के लिए टीम-11 का गठन मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि का परिचायक है।
एमएसएमई उद्योग में बड़ी पहल
राज्य की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए वह लगातार कदम उठा रहे हैं। राज्य के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को नए सिरे से खड़ा करने के लिए उन्होंने पूरा जोर लगा दिया है। एमएसएमई उद्योग राज्य में सबसे ज्यादा रोजगार देता है। इस उद्योग में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए यूपी सरकार ने हाल के दिनों में अमेरिका, थाईलैंड सहित कई देशों की कंपनियों के साथ कारोबारी रिश्ते मजबूत करने की पहल की है। जाहिर है कि विदेशी कंपनियों के निवेश से राज्य की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होगा और इसका लाभ प्रदेश के लोगों को मिलेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि, किसान, संस्कृति और पर्यटन इन सभी क्षेत्रों में अवसरों एवं विकास की संभावनाओं की पहचान करते हुए योगी सरकार ने जो नए कदम उठाए हैं उनका सकारात्मक असर दिख रहा है।
राज्य के बारे में लोगों की धारणा बदली
तीन साल पहले राज्य के बारे में सोच एवं धारणा दूसरे तरह की थी। एक समय था जब यूपी को माफियाराज, गुंडाराज, अपराध, भ्रष्टाचार एवं दंगों के लिए जाना जाता था लेकिन अब इन पर काफी हद तक रोक लग गई है। राज्य में भय का वातावरण नहीं है। समाज के सभी वर्गों में सद्भाव और सौहार्द बढ़ा है। उद्यमी एवं कारोबारी बिना किसी भय के राज्य में निवेश करने के लिए आगे आए हैं। प्रशासन पर किसी तरह का दबाव या हस्तक्षेप नहीं है। पुलिस एवं प्रशासन बिना किसी दखल के अपना काम कर रहे हैं। इससे कानून के राज की अवधारणा पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुई है। यह बदलाव मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की नीति एवं नीयत से ही संभव हो पाया है। भेदभाव रहित 'सबका साथ सबका विकास' के नारे को उन्होंने उत्तर प्रदेश में साकार कर दिखाया है।