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कांग्रेस चिंतन शिविर दिशाहीन हो रहा है, बिना पोस्टमॉटम के भविष्य रोडमैप पर कैसे बनेगी रणनीति? 

रंजीता झा | SPECIAL CORRESPONDENT
Updated May 14, 2022 | 19:28 IST

Udaipur Congress Chintan Shivir : उदयपुर में कांग्रेस का तीन दिन का चिंतन शिविर चल रहा है। दरअसल शिविर के शुरू होने से पहले चिंतन शिविर के आगे  'नव संकल्प' लगा दिया गया। 

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कांग्रेस चिंतन शिविर में राहुल गांधी के प्रति नेताओं की निष्ठा एक बड़ा प्रश्नचिन्ह बनता जा रहा है

उदयपुर में कांग्रेस चिंतन शिविर (daipur Congress Chintan Shivir) दिशाहीन होती जा रही है। शिविर का उद्देश्य तो था पिछली गलतियों से सीख लेकर भविष्य का रोडमैप तैयार करना। लेकिन ऐसा कुछ होता दिख नही रहा है। पार्टी के नेताओं पर शिविर शुरू होने से पहले ही इतनी पाबंदी लगा दी गई है की कोई खुलकर आलाकमान को नाराज नहीं करना चाहता। बावजूद इसके लंबे अरसे से नेताओं के मन ज्वालामुखी की तरह दबा गुस्सा और हताशा शब्दों के माध्यम से बाहर निकल ही जा रहा है। फिर चाहे वो नेतृत्व की अनिश्चितता हो या संगठन में कुछ लोगों को हाशिए पर डालना हो। 

इस चिंतन शिविर का मकसद था आत्ममंथन करना। पर शिविर में हिस्सा ले रहे नेताओं की माने तो पार्टी ग़लतियों पर पर्दा डालने में लगी है। तभी नेताओं को हिदायत दी गई है कि पिछली गलतियां गिनाए बग़ैर भविष्य की बात हो। 

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पार्टी ने चिंतन शिविर शुरू होने से पहले ही अलग- अलग पैनल बना दिया जिसे पार्टी को भविष्य का ऱोडमैप तैयार करना था। लेकिन इन कमेटियों  को ये भी ताकीद कर दिया गया की उन्हे ये काम बिना अतीत के पोस्ट मार्टम के करना है। दरअसल इसके पीछे नेतृत्व के मन में ये आशंका है की अगर अतीत का पोस्टमार्टम हुआ तो वर्तमान में कई सरों की बली देनी होगी। यही नहीं इसकी आंच खुद गांधी परिवार तक पहुंच सकती है। इसलिए रिफॉर्म की सारी कवायद को वर्तमान की हद में रह कर करने को कहा गया।

 प्रियंका को अध्यक्ष बनाने की मांग 

कांग्रेस चिंतन शिविर में राहुल गांधी के प्रति नेताओं की निष्ठा एक बड़ा प्रश्नचिन्ह बनता जा रहा है। कांग्रेस का संगठनात्मक चुनाव को प्रक्रिया चल रही है। लेकिन राहुल गांधी के नए अध्यक्ष बनने की सहमति को लेकर अभी भी संसय बना हुआ है। यही वजह है की कई नेता अब प्रियंका गांधी को अध्यक्ष बनाने की वकालत खुल कर करने लगे हैं।

चिंतन शिविर में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मुखरता से प्रियंका को अध्यक्ष बनाने की बात कही। वह भी सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी की मौजूदगी में।  आचार्य का कहना था कि 'दो साल से राहुल गांधी को मनाने की कोशिश हो रही है। क्या राहुल गांधी अध्यक्ष बनने को तैयार है? अगर वो तैयार नहीं तो प्रियंका गांधी वाड्रा को अध्यक्ष बनाया जाए। आचार्य ने कहा वो हिंदुस्तान का सबसे लोकप्रीय चेहरा हैं। प्रमोद कृष्णम की मांग का समर्थन दीपेंद्र हुडा और पूर्व सांसद रंजीत रंजन ने भी किया।

 नहीं सुधरे तो खत्म हो जाएंगे  

राजस्थान के पूर्व मंत्री और गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा ने शिविर में सबसे मुखरता से अपनी बात कही। रघु शर्मा ने चेतावनी के लहजे में कहा की अगर समय रहते  हम नहीं सुधरे तो खत्म हो जाएंगे । उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर हम हिमाचल और गुजरात के चुनाव नहीं जीते तो 2024 भूल जाइए। ऐसा नहीं है की शिविर में तमाम पाबंदियों के बाद भी नेताओं ने आईना दिखाने की कोशिश नही की। अब ये पार्टी नेतृत्व पर है की वो इसे सकारात्मक सुझाव के तौर पर ले या फिर उन्हीं नेताओं को हाशिए पर डाल दे, जिन्होंने सच बोलने का साहस किया।

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