- कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति का गठन किया है
- समिति को राष्ट्रीय मुद्दों पर आंदोलन की योजना बनाने की जिम्मेदारी दी गई है
- पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और अन्य नेताओं को भी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं
नई दिल्ली : पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सियासी तौर पर सक्रिय होती नजर आ रही है। पार्टी इस दौरान अंदरूनी कलह को दूर करने के लिए कई कदम उठाती नजर आ रही है तो राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों को भी संजीदगी से जनता के बीच ले जाने के मूड में नजर आ रही है। पार्टी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह की अगुवाई में नौ सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो ऐसे ही मसलों को लेकर योजनाएं बनाएगी।
दिग्विजय सिंह होंगे अध्यक्ष
कांग्रेस की ओर से गुरुवार को जारी बयान में कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने राष्ट्रीय मुद्दों पर निरंतर आंदोलन की योजना तैयार करने के लिए नौ सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व पार्टी के चतुर रणनीतिकार समझे जाने वाले दिग्विजय सिंह को अहम जिम्मेदारी दी गई है तो पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस के अन्य आठ नेताओं को भी समिति का सदस्य बनाते हुए अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है।
कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी बयान के मुताबिक, दिग्विजय सिंह समिति के अध्यक्ष होंगे। पार्टी के अन्य आठ सदस्यों में प्रियंका गांधी, उत्तम कुमार रेड्डी (सांसद), मनीष चतरथ, बीके हरिप्रसाद, रिपुन बोरा, उदित राज, रागिनी नायक और जुबेर खान को शामिल किया गया है।
असंतुष्टों का मनाने की कवायद!
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया, जिसमें गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे जी-23 के उन नेताओं को भी शामिल किया गया, जिनके बारे में माना जाता रहा है कि ये पार्टी नेतृत्व से अंसतुष्ट चल रहे हैं। जी-23 के नेताओं ने कई मौकों पर नेतृत्व के फैसलों से असंतोष जताया है।
ऐसे में मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बनी कमेटी में इन नेताओं को शामिल करने के कांग्रेस अध्यक्ष के फैसले को पार्टी में अंदरूनी कलह को दूर करने और सभी को साथ लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कमेटी का गठन देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में लगातार एक साल तक आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की योजनाएं बनाने और उसके लिए आपसी समन्वय के उद्देश्य से किया गया है।