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Ashok Gehlot- Sachin Pilot तकरार में कांग्रेस का यह दिग्गज संकटमोचक बनकर उभरा

Updated Aug 12, 2020 | 00:51 IST

Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: ऐसा लग रहा है कि सचिन पायलट को मनाने में कामयाब हो गई है और इस कवायद में कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल ने अहम भूमिका निभाई।

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सचिन पायलट और अशोक गहलोत में है तनातनी
मुख्य बातें
  • सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया था
  • कांग्रेस ने कार्रवाई करते हुए सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और अध्यक्ष पद से हटा दिया था।
  • सचिन पायलट का कहना है कि वो कांग्रेस से अलग कभी नहीं हुए थे

नई दिल्ली। सियासी लड़ाई में कोई स्थाई दुश्मन या दोस्त नहीं होता है। अगर ऐसा होता तो शायद कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बागी सचिन पायलट से बातचीत का रास्ता नहीं खोलता। एक तरफ सचिन पायलट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई तो दूसरी तरफ इस तरह का माहौल भी बनाया गया कि अगर सचिन पायलट के मन में किसी तरह की गिला शिकवा है तो उन्हें अपनी बात कहनी चाहिए। एक साक्षात्कार में सचिन पायलट ने कहा भी जिस तरह से उनके खिलाफ अनर्गल बातें कहीं गई उससे उन्हें पीड़ा पहुंची। लेकिन बात सिर्फ इतनी सी है कि कांग्रेस आलाकमान ने पुचकार दिया और वो पिघल गए। दरअसल पूरी कहानी ऐसी नहीं है। राजस्थान के सियासी संकट में अहमद पटेल से एंट्री मारी और उसके बाद तस्वीर तेजी से बदली। 

राजस्थान में कांग्रेस सरकार को बचाने और बागी नेता सचिन पायलट और उनके समर्थकों की पार्टी में वापसी सुनिश्चित कर दिग्गज कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पार्टी नेतृत्व को संकट से निकालने का उनका कौशल क्यों जबरदस्त और जरूरी है।जब भी कांग्रेस के लिए समस्या पैदा होती है सभी की निगाहें पटेल पर टिक जाती हैं। साल 2004 और 2014 के बीच कई दलों के साथ गठबंधन में दो बार यूपीए सरकार के सुचारु रूप संचालन में उनकी अहम भूमिका रही।


वह अभी भी कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण वातार्कार हैं, जो उन्होंने मध्य प्रदेश में पार्टी के बुरे अनुभव के बाद राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराने के भाजपा के प्रयासों को विफल करके साबित किया।कांग्रेस मध्यप्रदेश में सत्ता खोने के छह महीने के भीतर दूसरा राज्य नहीं खोना चाहती थी और इसलिए अपने दिग्गज नेता की बातचीत के कौशल पर भरोसा जताया।

पार्टी के एक नेता ने कहा कि पटेल की कार्यशैली ने लड़ाई में जुटे गुटों के बीच सेतु बनाने में मदद की। वह पार्टी में अलग-अलग आवाजें उठा सकते हैं और फिर भी बड़े राजनीतिक ऑपरेशन करते हुए पर्दे के पीछे रह सकते हैं।पार्टी सूत्रों का कहना है कि पायलट खेमे में ट्रोजन हॉर्स भी मौजूद थे जो कांग्रेस नेतृत्व के साथ नियमित संपर्क में थे। एक बार जब पायलट खेमे ने बातचीत शुरू की, तो कांग्रेस द्वारा पहला कदम राजस्थान पुलिस एसओजी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए राजद्रोह के आरोपों को हटाने के लिए उठाया गया था।

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