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गांधी परिवार फिर मुश्किल में, क्या करना चाहते हैं आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद

Updated Aug 22, 2022 | 13:11 IST

Congress Crisis : गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा के हालिया इस्तीफे से साफ हो गया है कि कांग्रेस पार्टी में सब-कुछ ठीक नहीं चल रहा है। और G-23 गुट ने फिर से विरोधी तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
कांग्रेस की नई मुसीबत
मुख्य बातें
  • G-23 गुट के दोनों नेताओं का इस्तीफा ऐसे समय आया है, जब पार्टी में संगठन चुनाव होने वाले हैं।
  • सितंबर में कांग्रेस पार्टी को नया अध्यक्ष मिल सकता है।
  • हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर में इस साल चुनाव हो सकते हैं।

Anand Sharma And Ghulam Nabi Azad:गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने एक बार फिर बगावती तेवर दिखाने शुरु कर दिए हैं। दोनों नेताओं ने कांग्रेस पार्टी द्वारा दी गई अहम जिम्मेदारी से किनारा कर लिया है। गुलाम नबी आजाद ने जम्मू और कश्मीर के लिए, कांग्रेस पार्टी की प्रचार समिति के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया है। वहीं आनंद शर्मा ने  हिमाचल चुनाव के लिए बनी कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है। G-23 गुट के दोनों नेताओं का इस्तीफा ऐसे समय आया है, जब पार्टी में संगठन चुनाव होने वाले हैं और ऐसी संभावना है कि करीब 3 साल बाद पार्टी को नया अध्यक्ष मिल सकता है।

क्या करना चाहते हैं आजाद और आनंद

आनंद शर्मा ने इस्तीफे की वजह ट्वीट में बयां की है। उन्होंने कहा है कि मैंने भारी मन से इस्तीफा दिया है।  मैं आजीवन कांग्रेसी हूं और अपने विश्वास पर कायम हूं। मेरे खून में दौड़ने वाली कांग्रेस की विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध हूं। इसमें कोई शक नहीं है, हालांकि, एक स्वाभिमानी व्यक्ति के रूप में निरंतर उपेक्षा और अपमान को देखते हुए, मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था।

असल में आनंद शर्मा हिमाचल प्रदेश से आते हैं, और वहां पर इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे समय में इस्तीफा देने से साफ है कि आनंद शर्मा राज्य की राजनीति में अपने को सहज नहीं पा रहे थे। और यह बात उनके इस्तीफे से भी दिख रही है। क्योंकि वहां पर कांग्रेस की कमान पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत नेता वीर भद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के पास है। यही नहीं राज्य की राजनीति में भी आनंद शर्मा बहुत पकड़ नहीं रखते हैं। और पुराना रिकॉर्ड भी राज्य की राजनीति से दूर रहने वाला ही है, ऐसे में नई भूमिका उनके लिए सहज नहीं थी। साथ ही वह पार्टी के मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार नहीं है। इसलिए ऐसा लगता है कि उनके इस्तीफे की वजह राज्य से ज्यादा केंद्रीय स्तर पर होने वाले फेरबदल की संभावना से जुड़ी हुई है।

आनंद शर्मा की तरह गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस पार्टी की जम्मू और कश्मीर के लिए गठित प्रचार समिति के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे की वजह भी अभी तक सामने नहीं आई है। लेकिन 16 अगस्त को कांग्रेस आलाकमान द्वारा किए गए अहम बदलाव के बाद से ऐसा लग रहा था कि पार्टी गुलाम नबीं आजाद की अगुआई में राज्य में चुनाव लड़ना चाह रही थी। लेकिन आजाद के इस्तीफे के ऐलान ने कई अटकलों को शुरू कर दिया है। 

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पार्टी में अभी सब कुछ ठीक नहीं

दोनों नेताओं करे इस्तीफा से यह तो साफ हो गया है कि पार्टी में सब-कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कपिल सिब्बल द्वारा पार्टी छोड़ने के बाद जिस तरह से एक बार फिर सोनिया गांधी ने G-23 के नेताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश की, और सोनिया और राहुल गांधी पर ईडी की कार्रवाई में सभी नेता एक-जुट नजर आए, उससे ऐसा लग रहा था कि अब कांग्रेस में G-23 गुट कमजोर हो रहा है। लेकिन गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा के इस्तीफे ने एक बार फिर हवा दे दी है। और यह साफ हो गया है कि कांग्रेस पार्टी में अभी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जल्द

ऐसी संभावना है कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव सितंबर में होगा। उसके पहले G-23 के सबसे वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा का इस्तीफा निश्चित तौर पर गांधी परिवार के लिए परेशानी बन सकता है। इसे देखते हुए आलाकमान दोनों नेताओं को अपने पाले में लाने के लिए अहम कदम भी उठा सकता है। क्योंकि संगठन चुनाव में कार्यसमिति के सदस्यों और दूसरी अहम कमेटियों के भी चुनाव होने हैं। 

क्या है G-23

गांधी परिवार के लिए पिछले 2 साल से चुनौती बने G-23 के प्रमुख नेताओं में भूपेंद्र सिंह हुड्डा,  गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, शशि थरूर, मिलिंद देवड़ा, मुकुल वासनिक, मनीष तिवारी, वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चाह्वाण, संदीप दीक्षित, राज बब्बर , जितिन प्रसाद और कपिल सिब्बल रहे हैं। इसमें जितिन प्रसाद अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जबकि कपिल सिब्बल ने पार्टी छोड़ दी है। हालांकि पांच राज्यों के चुनाव परिणामों की मार्च में हुई बैठक G-23 की बैठक में मणिशंकर अय्यर और पुराने कांग्रेसी नेता शंकर सिंह बघेला भी शामिल हुए थे। लेकिन इसके बावजूद कपिल सिब्बल को छोड़कर दूसरे नेताओं ने गांधी परिवार के खिलाफ नरमी दिखनी शुरू कर दी थी। लेकिन गुलाम नबीं आजाद और आनंद शर्मा के नए तेवर ने गांधी परिवार की परेशानी जरूर बढ़ा दी है।

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