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Agnipath protest: अग्निपथ योजना के खिलाफ कांग्रेस का सत्याग्रह, जम्मू में भी कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन

Updated Jun 27, 2022 | 13:07 IST

सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना के खिलाफ कांग्रेस देश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में 'सत्याग्रह' कर रही है। इसी सिलसिले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जम्मू में भी अग्निपथ भर्ती योजना का विरोध किया गया और योजना को वापस लेने की मांग की।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
जम्मू में भी अग्निपथ भर्ती योजना का विरोध

कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जम्मू में अग्निपथ भर्ती योजना (Agnipath Recruitment Scheme) का विरोध किया और योजना को वापस लेने की मांग की। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस  सोमवार को देश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में 'सत्याग्रह' कर रही है। वह सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को लागू करने के 'तुगलकी' फैसले को वापस लेने की मांग कर रही है।

पश्चिम बंगाल में पवन खेड़ा, लखनऊ में अजय माकन, मुंबई में सुप्रिया श्रीनेत और चेन्नई में गौरव गोगोई समेत कांग्रेस के 20 वरिष्ठ नेताओं और प्रवक्ताओं ने रविवार को 'अग्निपथ की बात: युवाओं से विश्वास' शीर्षक से प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था और इस योजना को रद्द करने की मांग की था। कहा था कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और युवाओं में असंतोष है। कम समय की भर्ती नीति को "युवा विरोधी और राष्ट्र विरोधी" बताते हुए कांग्रेस ने कहा कि इसे बिना चर्चा के लागू किया गया। कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता सोमवार को सुबह 10:00 बजे से दोपहर 1 बजे तक सभी विधानसभा क्षेत्रों में 'शांतिपूर्ण सत्याग्रह' करेंगे।

गौर हो कि 14 जून को इस योजना की घोषणा के बाद बिहार समेत कई राज्यों ने बेलगाम हिंसा और विरोध प्रदर्शन हुए। सेना में युवाओं को केवल चार साल के लिए साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु वर्ग में भर्ती होगी, जिसमें 25 प्रतिशत को स्थाई तौर पर 15 साल के लिए रखने का प्रावधान है। 2022 के लिए, ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया गया है। कांग्रेस ने 20 जून को इस मुद्दे पर नई दिल्ली के जंतर-मंतर और विभिन्न राज्यों में शांतिपूर्ण सत्याग्रह किया था।

कांग्रेस सांसदों ने भी अग्निपथ के खिलाफ संसद से शांतिपूर्ण मार्च निकाला था और वरिष्ठ नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को एक ज्ञापन सौंपकर उनसे विवादास्पद योजना को वापस लेने का अनुरोध किया था। राष्ट्रपति तीनों सेनाओं के कमांडर-इन-चीफ होते हैं।

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