- पूरे देश में कोरोना के मामले 96 हजार के पार
- महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित
- देश में 31 मई तक लॉकडाउन का चौथा चरण लागू
नई दिल्ली। इस मर्ज का इलाज क्या है पता नहीं। लेकिन यह मर्ज दुनिया के 180 देशों में तबाही मचा रहा है। इस मर्ज को रोकने के लिए फौरी तौर पर क्या कर सकते हैं उसका रास्ता लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग में यूं कहें तो बचाव ही एक रास्ता है। इन सबके बीच भारत में कोरोना के मामले एक लाख के आंकड़े को कभी भी छू सकते हैं। ऐसे हालात में कई सवाल है जिनका जवाव विज्ञान, सरकार और समाज को देना है।
5242, एक दिन में सर्वाधिक मामले
सोमवार को एक आंकड़ा जारी किया गया है जिसके मुताबिक पिछले 24 घंटे में 5 हजार से ज्यादा संक्रमित मामले सामने आए हैं और शायद यह अंतिम ना भी हो। यह हो सकता है कि इस तरह या इससे भी कहीं ज्यादा भयावह आंकड़े के लिए हमें तैयार होना पड़े। लेकिन सवाल फिर वही है अगर लॉकडाउन न होता तो यह आंकड़े और कितनी तेजी से आगे बढ़ते।
तस्वीर और होती खराब
अगर एक मई से कल तक के आंकड़ों को देखें तो औसतन हर रोज तीन हजार संक्रमण के केस सामने आए हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या टेस्टिंग की संख्या बढ़ी है तो मामले सामने आए रहे हैं या लॉकडाउन के दौरान जो थोड़ी बहुत ढील दी गई है उसकी वजह से केस बढ़े हैं। उदाहरण के तौर पर बिहार में अप्रैल के महीने में कोरोना संक्रमितों की तादाद 250 के आस पास थी। लेकिन मई के इन 15 दिनों के अंदर वहां पर केस 1 हजार के पार है। इसके अलावा खास बात यह है कि पहले कुछ जिले ही फिलहाल लाइलाज मर्ज का सामना कर रहे थे। लेकिन अब उनकी संख्या बढ़ी है। तो क्या इसके लिए जिस तरह से प्रवासी मजदूर अपने घरों की तरफ जा रहे हैं उनसे हुआ है।
सरकारी तैयारी- हामी और खामी दोनों
इसके साथ एक सवाल है कि अगर लॉकडाउन को अमल में न लाया गया होता तो क्या यह तस्वीर हमें अप्रैल के महीने में ही दिखाई देती तो इसका जवाब बेहद साफ है। अगर तीन हजार का औसत आंकड़ा लिया जाए तो महज 20 से 25 दिन पहले ही यह तस्वीर या इससे भी खराब नजर आती। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अनुमान में कहा था कि अगर लॉकडाउन को समय रहते हुए लागू नहीं किया गया होता तो 15 अप्रैल तक भारत में करीब 8 लाख मरीज होते। जानकारों का कहना है कि यह बात सही है कि लॉकडाउन का फैसला तेजी से लिया गया। लेकिन जमीनी स्तर पर अगर तैयारी और पुख्ता तौर से की गई होती तो नतीजे और बेहतर होते