कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉकडाउन के बीच शराब के शौकीनों के भारी दिक्कत हो रही है और वो अपनी तलब मिटाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं वहीं कई शौकीनों ने लॉकडाउन से पहले ही अपने कोटे का इंतजाम कर लिया था वहीं कई लोग ऐसे हैं जिनको इसकी तलब लग रही है लेकिन शराब की दुकानें बंद हैं।
इन्हीं हालातों के बीच लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र के नागपुर में शराब की दुकानों और बीयर बार में पिछले 48 घंटे में चोरी की चार घटनाएं सामने आई हैं। चोरी की वजह से शराब की दुकानों के पास गश्त बढ़ानी पड़ रही है।
राज्य के आबकारी विभाग के निरीक्षक ने बताया कि चोरी की चार वारदात हुई हैं , जिनमें चोरों ने हर जगह से करीब एक लाख रूपये मूल्य की शराब की चोरी की है।राज्य में लॉकडाउन के दौरान शराब की मांग बढ़ गई है। अंतर-जिला और अंतर-राज्य सीमाओं पर पुलिस की भारी मौजूदगी की वजह से गैरकानूनी आपूर्ति भी बंद हैं।
वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शराब नहीं मिलने पर कथित रूप से मेडिकल स्प्रिट पीने से दो लोगों की मौत हो गई तथा एक अन्य व्यक्ति बीमार हो गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हुसैन, समुद्रे और कुंजाम ने मंगलवार रात स्प्रिट पी ली थी। इसके बाद तीनों की तबियत बिगड़ गई।
उन्होंने बताया कि सुबह एक व्यक्ति की घर में मौत हो गई। अन्य दो लोगों को उनके परिजनों ने अस्पताल में भर्ती कराया था जिनमें से एक की इलाज के दौरान मौत हो गई।
केरल में शराब खरीदने के लिये विशेष पास हुए थे जारी
केरल उच्च न्यायालय ने नशे के आदी लोगों को शराब खरीदने के लिये विशेष पास जारी करने के राज्य सरकार के आदेश पर तीन हफ्ते के लिये रोक लगा दी है।डॉक्टरों ने नशे की लत के मद्देनजर ऐसे लोगों को आबकारी विभाग से शराब खरीदने की सलाह दी थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें विशेष पास जारी करने का आदेश दिया था।
न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नंबियार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की पीठ ने सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया है। केरल सरकार चिकित्सा आधिकारी संघ (केजीएमओए) समेत विभिन्न पक्षों ने याचिकाएं दायर कर आदेश को चुनौती दी थी, जिनपर अदालत ने यह फैसला लिया।
सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में डॉक्टरों की सलाह पर शराब के लती लोगों को लॉकडाउन (बंद) के दौरान शराब मुहैया कराने का आदेश दिया था।
सरकार ने आदेश में कहा था कि बंद और शराब की दुकानें नहीं खुलने से नशे के लती लोगों के आत्महत्या करने और अवसाद का शिकार होने की घटनाएं सामने आई हैं, जिसके मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।