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कोरोना वैक्‍सीन : चीन को पछाड़ गया भारत, दुनिया में सबसे किफायती है भारतीय टीकों का डोज

Updated Mar 03, 2021 | 09:27 IST

कोरोना महामारी से बचाव के लिए दुनिया के कई देशों में वैक्‍सीन लगाई जा रही है। भारतीय वैक्‍सीन की कीमत दुनिया में सबसे कम है, जबकि चीनी वैक्‍सीन भारत के मुकाबले 9 गुनी महंगी है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
कोरोना वैक्‍सीन : चीन को पछाड़ गया भारत, दुनिया में सबसे किफायती है भारतीय टीकों का डोज

नई दिल्‍ली : कोरोना वायरस महामारी से निजात पाने के लिए दुनियाभर में कई कंपनियों ने वैक्‍सीन बनाई है, जिनमें भारत भी शामिल है। इस मामले में भारत कई मायनों में चीन से आगे नजर आ रहा है। दुनिया में कई देशों को वैक्सीन मुहैया कराकर भारत पहले ही इस मामले में कूटनीतिक बढ़त हासिल कर चुका है तो भारतीय वैक्‍सीन के डोज की कम कीमत भी चीनी टीकों के मुकाबले इसकी पहुंच आसान बनाती है।

भारत में विकस‍ित कोरोना वैक्‍सीन जहां दुनिया में सबसे किफायती है, वहीं चीनी फार्मा कंपनियों ने जो वैक्‍सीन बनाई, वह सबसे अधिक महंगी है। अपने उत्‍पादों की कीमत कम रखकर दुनियाभर के बाजार को पाट देने वाला चीन यहां भारत से मात खाता नजर आ रहा है। भारतीय वैक्‍सीन के मुकाबले चीनी वैक्‍सीन के डोज की कीमत नौ गुना अधिक बताई जा रही है। ऐसे में वे देश, जो आर्थिक रूप से बहुत संपन्‍न नहीं हैं, भारत की तरफ उम्‍मीद की नजर से देख रहे हैं।

भारत में इस्‍तेमाल हो रही दो वैक्‍सीन

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को लेकर इस वक्‍त दो तरह की वैक्सीन का इस्‍तेमाल हो रहा है, जिनमें से एक कोवैक्सीन और दूसरी कोविशील्‍ड है। कोवैक्‍सीन भारत की पूरी तरह से स्‍वदेशी वैक्‍सीन है, जिसका निर्माण भारत बायोटेक कंपनी ने किया है, जबकि कोविशील्‍ड का निर्माण सीरम इंस्‍टीट्यूट ने ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्रेजेनेका के साथ मिलकर किया है।

भारत के सरकारी अस्‍पतालों में जहां ये दोनों वैक्‍सीन लोगों को नि:शुल्‍क लगाए जा रहे हैं, वहीं निजी अस्‍पतालों में वैक्‍सीन की एक डोज की कीमत अधिकतम 250 रुपये तक कर दी गई है, जिनमें 150 रुपये वैक्‍सीन की कीमत है, जबकि 100 रुपये सर्विस चार्ज है। विशेषज्ञों ने कोरोना से बचाव के लिए 28 दिनों बाद इन टीकों की दो डोज लेने की अनुशंसा की है।

दुनिया में कहां कितनी कीमत

अब दुनियाभर में विकसित कोरोना वैक्‍सीन की कीमत भारतीय मुद्रा के हिसाब से देखें तो यह कहीं अधिक है।

अमेरिका : अमेरिका में फार्मा कंपनी फाइजर ने कोरोना से बचाव के लिए BNT-162 वैक्‍सीन विकसित की है, जिसकी एक डोज की कीमत भारतीय मुद्रा के हिसाब से 1400 रुपये है।

यूरोप : यूरोप में मॉर्डना वैकसीन mRNA- 1273 का भी इस्‍तेमाल हो रहा है, जिसकी की प्रति डोज कीमत 1300 रुपये है।

रूस : रूस ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन स्पूतनिक-V तैयार किया है, जिसकी एक डोज की कीमत 730 रुपये निर्धारित की गई है।

सऊदी अरब : सऊदी अरब में कोविशिल्ड वैक्सीन का इस्‍तेमाल हो रहा है, जिसकी एक डोज की कीमत भारतीय मुद्रा के हिसाब से 390 रुपये तय किया गया है।

दक्षिण अफ्रीका : दक्षिण अफ्रीका में भी कोविशिल्ड वैक्सीन का इस्‍तेमाल हो रहा है, जिसकी एक डोज की कीमत 390 रुपये तय की गई है।

ब्राजील : ब्राजील में कोविशील्‍ड की कीमत 370 रुपये तय की गई है।

इस तरह हम देखते हैं कि भारतीय मुद्रा के हिसाब से दुनिया के कई देशों में वैक्‍सीन के एक डोज की कीमत भारत के मुकाबले कहीं अधिक है। वहीं चीनी वैक्‍सीन की कीमत उक्‍त देशों के मुकाबले सबसे अधिक है। कोविड-19 से बचाव के लिए चीन ने जो वैक्‍सीन तैयार की है, उसके एक डोज की कीमत 2,200 रुपये रखी गई है। इस तरह दो डोज की कीमत भारतीय मुद्रा के हिसाब से 4,400 पड़ेगी, जिसे ले पाना आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए मुश्किल होगा।

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