नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी पूरी दुनिया में कहर ढा रही है। इस घातक संक्रमण से दुनियाभर में अब तक 19.36 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 9.01 करोड़ से अधिक लोग इससे संक्रमित हुए हैं। इस घातक महामारी ने एक बड़ा स्वास्थ्य संकट पैदा किया तो अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित किया। हालांकि इस महामारी से बचाव के लिए कई वैक्सीन अब सामने आ रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि साल 2021 में हालात बेहतर होंगे।
कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनिया के अधिकांश हिस्सों में बीते साल लंबी अवधि तक लॉकडाउन रहा। हालांकि अब भी दुनिया के कई हिस्सों में प्रतिबंध जारी हैं, पर अब धीरे-धीरे कामकाजी गतिविधियां बढ़ती नजर आ रही हैं। कोविड-19 महामारी ने न सिर्फ एक बड़ा स्वास्थ्य संकट दुनिया के सामने रखा, बल्कि कामकाज की एक नई शैली भी सामने आई, जब लोगों ने घर से काम किया। बीते साल का अनुभव ही है कि अब दुनियाभर में कंपनियां वर्क फ्रॉम होम कल्चर को अपनाती नजर आ रही हैं।
गिग इकोनोमी को मिलेगा बढ़ावा
इस संबंध में एक अध्ययन भी सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि कामकाज की इस शैली से महिलाओं को फायदा मिलेगा और आगामी महीनों में अर्थव्यवस्था के विस्तार में महिलाओं की लीडरशिप बढ़ेगी। जॉब साइट साइकी (Scikey) ने 2021 टैलेंट टेक्नोलॉजी आउटलुक रिपोर्ट की है, जिसके मुताबिक, इस साल कंपनियों में हाइब्रिड वर्कफोर्स देखने को मिलेगा और वर्क फ्रॉम होम की सफलता से 'गिग इकोनोमी' (Gig Economy) को बढ़ावा मिलेगा।
'गिग इकोनॉमी' एक मुक्त बाजार व्यवस्था है, जिसमें कामगारों को अस्थाई तौर पर एक निर्धारित अवधि के लिए रखा जाता है। हालांकि लोगों के कामकाज के अधिकार के संबंध में इसे बेहतर नजरिये से नहीं देखा जा रहा है, पर महिलाओं के लिए इसे एक बड़ा अवसर बताया जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह इस व्यवस्था के तहत कर्मचारियों को कामकाजी घंटे चुनने की आजादी देना बताया जा रहा है, जिसके लिए महिलाएं अधिक तरजीह देंगी।
महिलाओं के लिए बेहतर अवसर
दरअसल, पैरेंटल जिम्मेदारियों के कारण बड़ी संख्या में महिलाएं कामकाज से दूर होती रही हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, केवल 42 फीसदी महिलाएं ही दो साल के भीतर अपने कार्यक्षेत्र में लौट पाती हैं। घरेलू जिम्मेदारियों की वजह से उनकी नौकरी में गैप भी देखा गया है, जिसका सीधा असर उनकी सैलरी पर भी होता है और एक ही वक्त में काम शुरू करने वाले महिलाओं व पुरुषों की सैलरी के बीच बड़ा अंतर देखने को मिलता है। इन सबकी एक बड़ी वजह दफ्तर में कामकाज के तय किए गए घंटे हैं।
कामकाज की नई शैली से अब यह परंपरा खत्म होती दिख रही है और ऐसे में माना जा रहा है कि इससे अधिक से अधिक महिलाएं काम करने के लिए आगे आएंगी। खास तौर पर उन महिलाओं के लिए इसे बेहतर अवसर माना जा रहा है, जो मैटरनिटी लीव के बाद काम पर लौटती हैं। समझा जा रहा है कि अपने हिसाब से कामकाज के घंटे चुनने की आजादी से महिलाएं अपने काम के साथ-साथ घरेलू जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभा सकेंगी, जिसमें उन्हें घर के पुरुषों का सहयोग नहीं के बराबर मिलता है।