- देश में कोरोना के मामले 1 लाख 18 हजार के पार
- महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित
- लॉकडाउन की वजह से कोरोना के मामले उतने तेजी से नहीं बढ़े
नई दिल्ली। यदि ऐसा होता तो वैसा होता, इस तरह के कयासों का कोई अर्थ नहीं होता है। लेकिन कोरोना के केस में यह लाइन सटीक बैठती है। अगर वास्तव में लॉकडाउन न होता तो तस्वीर इतनी भयावह होती कि उसके दुख को वहन करना मुश्किल हो जाता। इस समय देश भर में कोरोना संक्रमण के मामले 1 लाख 18 हजार के करीब है, और मरने वालों की संख्या 3500 के पार चली गई है। सरकार की तरफ से एक आंकड़ा पेश किया गया है जिसमें बताया गया है कि लॉकडाउन की वजह से भारत अमेरिका, इटली , फ्रांस बनने से बच गया। आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन न होने से अब तक 78 हजार लोगों की मौत हुई होती और 14 से 29 लाख लोग संक्रमित हुए होते।
सांख्यिकी मंत्रालय ने जो मॉडल पेश किया है उसके मुताबिक लॉकडाउन की वजह से 54 हजार मौतों को टाला गया और 20 लाख से ज्यादा संक्रमण को रोकने में कामयाबी मिली। इसके साथ ही दो अलग अलग स्वतंत्र मॉडल पेश किए गए जिससे पता चलता है कि 68 हजार लोगों को मौत के मुंह से बचाया गया और इसके साथ ही 23 लाख लोग संक्रमित होने से बचे।
सरकार के मुताबिक देश के कुछ खास इलाकों में कोविड 19 के मामले हैं बड़ी बात यह है कि 80 फीसद एक्टिव केस पांच राज्यों में हैं। अभी भारत में मौत के जितने भी मामले सामने आए हैं उनमें 80 फीसद केस महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली से संबंधित हैं। जानकारों का कहना है कि लॉकडाउव 4 में जिस तरह से ढील दी गई है उससे निश्चित तौर पर कोरोना केस में इजाफा होगा। दरअसल अब जैसे जैसे टेस्ट की संख्या बढ़ती जा रही है वैसे वैसे मामलों में तेजी देखी जा रही है। लेकिन अच्छी बात यह है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने वालों की तादाद में भी इजाफा हुआ है।