नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच टीकाकरण को लेकर उठ रहे सवालों पर आईसीएमआर ने स्पष्टीकरण दिया है। संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच कोरोना वायरस के कई स्ट्रेन सामने आ रहे हैं। ऐसे में टीकों को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे अलग तरह के कोविड-19 के अलग तरह के वैरिएंट्स पर भी असरदार हैं? ICMR ने इस पर रिसर्च किया है।
आईसीएमआर के रिसर्च के अनुसार, कोवैक्सीन SARS-CoV-2 के अलग-अलग तरह के वैरिएंट्स और डबल म्यूटेंट स्ट्रेन पर पर भी काम करता है। रिसर्च के अनुसार, कोवैक्सीन कोरोना वायरस के यूके वैरिएंट, ब्राजील वैरिएंट, दक्षिण अफ्रीका वैरिएंट के साथ-साथ डबल म्यूटेंट स्ट्रेन के खिलाफ भी असरदार है।
वैक्सीन को लेकर उठ रहे हैं सवाल?
आईसीएमआर का यह रिसर्च ऐसे समय में आया है, जब देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं और संक्रमण के मामलों में अचानक हुई इस बढ़ोतरी के लिए वायरस के कई तरह के वैरिएंट्स और डबल म्यूटेंट स्ट्रेन को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है।
कोरोना वायरस के अलग-अलग तरह के वैरिएंट्स पर मौजूदा समय में इस्तेमाल किए जा रहे वैक्सीन असरदार हैं या नहीं, इसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। खासकर ऐसे में जबकि वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं, जिनमें डॉक्टर्स भी शामिल हैं, वैक्सीन की क्षमता को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल आ रहे हैं।
वैक्सीन पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
इस संबंध में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का हालांकि कहना है कि वैक्सीन भले ही आपको संक्रमण की चपेट में आने से न बचाए, लेकिन यह कोविड-19 संक्रमण के कारण हालत गंभीर होने की स्थिति पैदा नहीं होने देता और यह बीमारी के गंभीर हो जाने के कारण होने वाली मौतों से बचाने में भी कारगर साबित होगा।
कोरोना से बचाव में टीकाकरण की अहमियत को समझते ही हुए सरकार ने 1 मई से 18 साल या इससे अधिक की उम्र के लोगों के टीकाकरण को मंजूरी दे दी है। भारत में टीकाकरण की प्रक्रिया 16 जनवरी को शुरू हुई थी, जिसमें कोवैक्सीन और कोविशील्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। कोविशील्ड का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर किया है, जबकि कोवैक्सीन का निर्माण भारत बायोटेक ने किया है, जो पूरी तरह स्वदेशी विकसित वैक्सीन है।