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कोविडशील्ड से मौत के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्र, सीरम समेत कई को भेजा नोटिस, पिता ने मुआवजे के तौर पर मांगे 1,000 करोड़ रुपए

Updated Sep 03, 2022 | 11:01 IST

Covishield: औरंगाबाद के रहने वाले याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी बेटी मेडिकल छात्रा थी, उसे 28 जनवरी, 2021 को नासिक में अपने कॉलेज में कोविशील्ड वैक्सीन लेने के लिए मजबूर किया गया था, क्योंकि वह एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता थी।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
पिता ने मुआवजे के तौर पर मांगे 1,000 करोड़ रुपए। (सांकेतिक फोटो)

Covishield: बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्र, वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और अन्य को नोटिस जारी कर एक शख्स की ओर से दायर याचिका पर जवाब मांगा है। दरअसल शख्स ने अपनी याचिका में कथित तौर पर कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद अपनी बेटी की मौत के लिए मुआवजे की मांग की है। 

कोविडशील्ड से मौत के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्र, सीरम समेत कई को भेजा नोटिस

याचिकाकर्ता दिलीप लूनावत ने कथित तौर पर टीका लगवाने के बाद अपनी बेटी स्नेहल लूनावत की मौत के लिए मुआवजे के रूप में 1000 करोड़ रुपए की मांग की है। कोविशील्ड भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तहत इस्तेमाल किए जा रहे टीकों में से एक है, जिसे पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित किया गया है। केंद्र और एसआईआई के अलावा याचिकाकर्ता ने माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स से भी जवाब मांगा है, जिनकी नींव बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने वैक्सीन की 100 मिलियन खुराक के निर्माण और वितरण की प्रक्रिया को तेज करने के लिए एसआईआई के साथ भागीदारी की थी।

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महाराष्ट्र सरकार, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और एम्स के निदेशक से भी मांगा जवाब

हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और एम्स के निदेशक से भी जवाब मांगा है। औरंगाबाद के रहने वाले याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी बेटी मेडिकल छात्रा थी, उसे 28 जनवरी, 2021 को नासिक में अपने कॉलेज में कोविशील्ड वैक्सीन लेने के लिए मजबूर किया गया था, क्योंकि वह एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता थी।

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याचिका में पिता ने आरोप लगाया कि उसने कुछ दिनों बाद तेज सिरदर्द और उल्टी की शिकायत की और बाद में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने कहा कि उसके दिमाग में खून बह रहा है। इसके बाद 1 मार्च, 2021 को स्नेहल की मृत्यु हो गई और टीके का दुष्प्रभाव इसका कारण था। न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने 26 अगस्त को याचिका में सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।

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