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सीपीएम नेता पिनराई विजयन फिर बने केरल के मुख्यमंत्री, शैलजा को मंत्री नहीं बनाए जाने पर उठे सवाल

Updated May 20, 2021 | 17:41 IST

इतिहास रचकर दोबारा सत्ता में आने वाले पिनराई विजयन ने केरल के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शैलजा को मंत्री नहीं बनाए जाने पर सवाल उठे। 

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन

तिरुवनंतपुरम: विधानसभा चुनाव में एलडीएफ की ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद 76 वर्षीय सीपीएम नेता पिनराई विजयन ने गुरुवार (20 मई) को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए केरल के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें सेंट्रल स्टेडियम में आयोजित समारोह में विजयन को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। एनसीपी के एके ससींद्रन, इंडियन नेशनल लीग (आईएनएल) के अहमद देवरकोविल, आर बिंदू और पीए मोहम्मद रियास समेत केरल के नए कैबिनेट के 20 मंत्रियों ने विजयन के साथ शपथ ली। समारोह में कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया गया था। केरल हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि महामारी के मद्देनजर समारोह में सीमित संख्या में लोग भाग लें। 

शैलजा को मंत्री नहीं बनाए जाने पर सीपीएम के महासचिव ने ये कहा

पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं शैलजा को मंत्री नहीं बनाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया था। कई लोगों ने पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए कोरोना वायरस महामारी से उनके कुशलता से निपटने का हवाला देते हुए उन्हें मंत्री बनाने की मांग की है। इस पर सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि केरल की सरकार में नए चेहरों को लाने का फैसला पार्टी और राज्य के दीर्घकालिक हित में लिया गया है। येचुरी ने कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का राज्यों में कैबिनेट गठन से कोई लेना-देना नहीं है। एक दिन पहले ही विजयन ने कहा था कि नए कैबिनेट में शैलजा को शामिल नहीं करने का फैसला नए चेहरों को अवसर देने के पार्टी के रुख के अनुरूप है।

26 विधायकों को फिर से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ाया गया

पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं शैलजा को इस बार कैबिनेट में जगह नहीं दिए जाने के सवाल पर सीपीएम महासचिव ने कहा कि कौन चुनाव लड़ेगा और निर्वाचित विधायकों में से किसे मंत्री बनाना है, ये सवाल हर राज्य में संबंधित राज्य कैबिनेट के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। येचुरी ने कहा कि चुनाव में भी 26 मौजूदा विधायकों को फिर से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ाया गया और उनमें बहुत सीनियर महत्वपूर्ण मंत्री भी शामिल हैं। जब यह फैसला लिया गया था तो कुछ खबरों में कहा गया था कि इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा।उन्होंने कहा कि लेकिन आपने रिजल्ट देखा। और मुझे लगता है कि यह फैसला न केवल सीपीएम और एलडीएफ के बल्कि केरल राज्य के भी दीर्घकालिक हित में है। 

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