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Defence Expo: सियाचिन की कड़कड़ाती ठंड में भी ये सूट छुड़ाएगा भारतीय सैनिकों के पसीने

Updated Feb 07, 2020 | 13:19 IST

भारत सरकार ने लखनऊ में चल रहे डिफेंस एक्स्पो के दौरान एक कंपनी के साथ सियाचिन में तैनात सैनिकों को ठंड से बचाने के लिए ऐसे सूट की खरीदारी के लिए समझौता किया है जिसका दावा -60 डिग्री में भी पसीने छुड़ाने का है।

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Siachin Indian Army

लखनऊ: दुनिया की सबसे ऊंची बैटल फील्ड के रूप में विख्यात सियाचिन और लेह जैसे दुर्गम इलाकों में भारतीय सैनिकों के सामने ठंड का सामना करना दुश्मनों का सामना करने से बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में लखनऊ में चल रहे डिफेंस एक्स्पो में सैनिकों को हड्डियां गलाने वाली ठंड से एक ऐसा सूट पेश किया गया है जिसके निर्माता सैनिकों को माइनस पचास से साठ डिग्री तापमान पर भी पसीने छुटवाने का दावा कर रहे हैं। 

महज 17 हजार रुपये है कीमत 

सूट को पहली बारी डिफेंस एक्सपो में प्रदर्शन के लिए रखा गया है। केंद्र सरकार ने कंपनी के साथ इस सूट की खरीदारी के लिए एमओयू पर भी हस्ताक्षर कर दिए हैं। भीषण ठंड में सैनिकों की रक्षा करने वाले सूट का फिलहाल भारतीय सेना आयात करता है। ये सूट भारत ऑस्ट्रिला, कनाडा, नीदरलैंड और अमेरिका से मंगाता है। आयात किए गए सूट की कीमत कररीबन 1 लाख रुपये होती है लेकिए आईआईटी कानपुर के एल्युमिनी और डिफेंस उद्यमी मयंक अग्रवाल की कंपनी ने इस सूट को महज 17 हजार रुपये की कीमत पर तैयार कर दिया है। 

भारतीय सेना को चीन और पाकिस्तान से सटी सीमा पर सैनिकों के लिए इस तरह के सूट की जरूरत होती है। दोनों देशों के साथ भारतीय सेना का युद्ध के मैदान में आमना-सामना हो चुका है। ऐसे में दोनों देशों की सीमाओं पर सैनिकों का चाक चौबंद होना बेहद जरूरी है। इसके लिए इस तरह के सूट जवानों को मुहैया कराना बेहद जरूरी है। 

खास किस्म के कपड़े और थर्मोस्टेट का किया गया है इस्तेमाल 

सूट को मल्टी लेयर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। इसके निर्माण के लिए खास किस्म के बेहद हल्के कपड़े का उपयोग किया गया है जिससे के इसका वजन कम रहे और पहाड़ी इलाकों में सैनिकों को कम वजन के कपड़े पहनकर आवागमन करना पड़े। इन इलाकों में सामान्यत: जवान बर्फ के बीच पैदल चलकर ही पैट्रोलिंग करते हैं। ये सूट ऊंचाई वाले इलाकों में सैनिकों को पराबैगनी किरणों( अल्ट्रावायलेट) रेज से भी बचाता है। सूट की ऊपरी सतह पहनने वाले को पानी और बर्फीली हवाओं से बचाती है। यह परत इन्सुलेटर के रूप में भी काम करती है। सूट की सबसे निचली सतह पर थर्मोस्टेट का उपयोग किया गया है। 

सीएजी की रिपोर्ट में उठा सियाचिन पर सवाल

हाल ही में संसद में पेश सीएजी की रिपोर्ट में सियाचिन को लेकर कड़वी सच्चाई सामने आई है। दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र में हमारे जवान राशन, कपड़ों और अन्य जरूरी सामान की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में विदेशों से सर्दी से बचाने वाले सूट के आयात में होनी वाली देरी को भी मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत बने सूट सेना को मुहैया होने पर ये परेशानी कम हो जाएगी।

 


 

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