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Kangana Ranaut : दिल्ली सरकार की समिति ने कंगना रनौत को किया तलब, किसान आंदोलन पर दिया है विवादित बयान 

Updated Nov 25, 2021 | 13:35 IST

कृषि कानून की वापसी की घोषणा के बाद कंगना ने सिख समुदाय के खिलाफ 'अपमानजनक' टिप्पणी की है। कंगना ने किसान आंदोलन की तुलना खालिस्तानी आंदोलन से की है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
दिल्ली सरकार की समिति के सामने पेश होंगी कंगना रानौत।
मुख्य बातें
  • कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद अभिनेत्री ने किया विवादित पोस्ट
  • कंगना ने किसान आंदोलन की तुलना खालिस्तानियों से की, सिख समुदाय नाराज
  • दिल्ली सरकार की समिति ने कंगना को छह दिसंबर को पेश होने के लिए कहा

नई दिल्ली : सिख समुदाय के खिलाफ बयान देने के मामले में दिल्ली विधानसभा की एक समिति ने अभिनेत्री कंगना रनौत को अपने सामने पेश होने के लिए कहा है। अभिनेत्री को छह दिसंबर को आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा की अगुवाई वाली शांति एवं सद्भाव समिति के समक्ष पेश होना है। बता दें कि कृषि कानून की वापसी की घोषणा के बाद कंगना ने सिख समुदाय के खिलाफ 'अपमानजनक' टिप्पणी की है। कंगना ने किसान आंदोलन की तुलना खालिस्तानी आंदोलन से की है। इस बयान के लिए अभिनेत्री के खिलाफ देश के अलग-अलग इलाकों में एफआईआर दर्ज की गई है।

दिल्ली सरकार की समिति ने भेजा नोटिस

रनौत को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि समिति को कंगना के बयान पर कई शिकायतें मिली हैं। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर 20 नवंबर को कथित रूप से समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी की। नोटिस में कहा गया है कि कंगना ने 'पूरे सिख समाज को खालिस्तानी बताया' है। उनका यह बयान सिख समुदाय का अपमान करने वाला और सद्भाव को बिगाड़ने वाला है। 

राघव चड्ढा हैं समिति के अध्यक्ष

कंगना के खिलाफ मुंबई में भी एफआईआर दर्ज हुई है। शांति एवं सद्भाव समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि अभिनेत्री के पोस्ट्स ने सिख समुदाय के लोगों की भावनाओं को गहरी क्षति पहुंचाई है। इन पोस्ट्स को लेकर लोगों में नाराजगी और आक्रोश है। उन्होंने कहा कि अभिनेत्री के पोस्ट्स ऐसे हैं कि इससे दिल्ली में शांति एवं सद्भाव को धक्का लग सकता है। कंगना ने कहा है कि 'खालिस्तानियों को मच्छरों की तरह कुचल' देना चाहिए। 

पीएम मोदी ने की है कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा

प्रधानमंत्री मोदी ने गत 19 नवंबर को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। गुरु नानकदेव की जयंती के मौके पर उन्होंने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि इन तीन कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के शीतकालीन सत्र में पूरी की जाएगी। पीएम ने धरनारत किसानों से वापस अपने घर एवं खेतों में लौटने की अपील की। हालांकि, पीएम की इस घोषणा के बाद किसान संगठन अपना आंदोलन वापस लेने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने सरकार के सामने अपनी छह मांगें रखी हैं।   

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