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Nirbhaya case: एक बार फिर बच गए चारों दोषी, निर्भया के परिजन बोले - अब नहीं बचेंगे

Updated Mar 02, 2020 | 18:21 IST

निर्भया के गुनहगारों की फांसी एक बार फिर टल गई है। फांसी की सजा अगले आदेश तक के लिऐ निरस्त कर दी गई है। इस मामले में पवन गुप्ता ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका लगाई है।

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निर्भया केस में चारों दोषियों को है फांसी की सजा
मुख्य बातें
  • निर्भया के चारों दोषियों को तीन मार्च को फांसी नहीं, सजा अगले आदेश तक के लिए निरस्त
  • क्यूरेटिव अर्जी खारिज होने के बाद पवन गुप्ता ने राष्ट्रपति के सामने लगाई दया याचिका
  • निर्भया के परिजन बोले- दोषियों की तरफ से यह अंतिम चाल लेकिन आगे नहीं होंगे कामयाब

नई दिल्ली। निर्भया के गुनहगारों मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय सिंह की फांसी एक बार फिर टल गई है। इसका अर्थ यह है कि अब उन्हें तीन मार्च सुबह 6 बजे फांसी नहीं दी जाएगी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उसके पास सिर्फ एक ही उपाय बचा था कि वो राष्ट्रपति के सामने दया अर्जी लगाए। 

अगले आदेश तक निर्भया के गुनहगारों को फांसी नहीं
दोषियों के वकील ए पी सिंह ने कहा कि चारों दोषियों को तीन मार्च सुबह 6 बजे दी जाने वाली फांसी की सजा पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। अदालत ने जेल अधिकारियों को साफ तौर पर आदेश दिया कि अगले आदेश तक फांसी नहीं होगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या आप लेटलतीफी कर रहे हैं तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अदालत इस तरह की बात नहीं करती है। जहां तक उनकी बात है वो अपने मुवक्किलों के पक्ष को रख रहे हैं। 

दोषियों के वकील ने अदालत को गुमराह किया
निर्भया के पिता ने कहा कि दोषियों के वकील ने अदालत को भी गुमराह किया है। दोषियों के वकील ने पहले कहा कि वो अभी तक दया याचिका नहीं दाखिल की है। लेकिन 12 बजे याचिका दाखिल होने के बाद साफ हो गया कि फांसी रुक जाएगी। निर्भया के पिता ने कहा कि वकीलों ने भी बताया। लेकिन अब जो फैसला आएगा वो अंतिम होगा।

अब दोषियों को और नहीं मिलेगी राहत
निर्भया के परिजनों की तरफ से केस लड़ने वाले वकीलों ने कहा कि यह दोषियों के लिए अंतिम मौका है। इसके बाद वो किसी तरह की अपील नहीं कर पाएंगे। अगर आप मुकेश सिंह, अक्षय सिंह और विनय शर्मा की बात करें तो उनके पास अब किसी तरह का कानूनी विकल्प नहीं है। पवन गुप्ता के पास क्यूरेटिव और दया याचिका का विकल्प का था जिसमें से वो क्यूरेटिव का इस्तेमाल कर चुका है। 

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