नई दिल्ली : तब्लीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। सरकार भी मान रही है कि बंगलेवादी मस्जिद में हुए कार्यक्रम की वजह से देश में कोरोना के आंकड़ों में तेजी से वृद्धि हुई है। जमात के सदस्य यहां से जिन-जिन राज्यों में गए वहां पर संक्रमण तेजी से फैला। बताया जा रहा है कि मरकज निजामुद्दीन में करीब 15 दिनों तक हजारों लोगों का आना-जाना लगा रहा। इनमें विदेशी भी शामिल थे। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग अपने-अपने राज्यों की तरफ रवाना हुए। जांच में सामने आया है इन लोगों के संपर्क में आए लोगों में भी संक्रमण का फैलाव हुआ।
अब राज्य सरकारें तब्लीगी जमात के सदस्यों और उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान कर उन्हें क्वरंटाइन में भेज रही है। जांच में लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। तब्लीगी जमात की घटना से कोरोना वायरस से लड़ने के सरकार के प्रयास कमजोर हुए हैं। तब्लीगी जमात पर सवाल भी उठने लगे हैं। कहा जा रहा है कि जमात ने दिल्ली सरकार के उस आदेश को नजरंदाज किया जिसमें राजधानी में किसी तरह के धार्मिक आयोजन की मनाही की गई थी।
दरअसल, इस पूरे मामले के कई पहलू हैं। तब्लीगी जमात, दिल्ली पुलिस और सरकार सबकी इसमें भूमिका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में 22 मार्च को 'जनता कर्फ्यू' लगाने की अपील की। देश ने उनका साथ दिया और यह कार्यक्रम सफल भी हुआ। अपने इस संबोधन में पीएम ने लोगों से अपने घरों में रहने की अपील की और सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दिया।
इसके पहले दिल्ली सरकार का 16 मार्च को जारी आदेश महत्वपूर्ण है। इस आदेश में दिल्ली सरकार ने 31 मार्च तक राजधानी के सभी जिम, नाइटक्लब, सिनेमाहाल, साप्ताहिक बाजार बंद करने का आदेश दिया। इस आदेश में यह भी कहा गया कि 31 मार्च तक दिल्ली में किसी भी तरह का सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक, अकेडमिक, खेल, सेमिनार, कॉन्फ्रेंस, पारिवारिक आयोजन नहीं होगा। हालांकि, सरकार ने शादी समारोह में 50 लोगों के जुटने की अनुमति दी। दिल्ली सरकार का आदेश स्पष्ट था। इसके हिसाब से दिल्ली में भीड़भाड़ से युक्त आयोजन पर पाबंदी लग गई थी।
जाहिर है कि दिल्ली सरकार के आदेश के मुताबिक राजधानी में इस तरह के आयोजन पर रोक लग गई थी। इस आदेश को लागू कराना पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी थी। सरकार के इस आदेश के बावजूद यदि मरकज निजामुद्दीन या किसी अन्य जगह पर कार्यक्रम आयोजित हुए तो अंगुली प्रशासन पर उठेगी। ध्यान देने वाली बात है कि दिल्ली पुलिस ने तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद सहित अन्य लोगों के खिलाफ दायर अपनी प्राथमिकी में दिल्ली सरकार के इस आदेश का हवाला दिया है।
दिल्ली पुलिस ने अपनी एफआईआर में कहा है कि मरकज के लोगों ने दिल्ली सरकार के 16 मार्च के आदेश का उल्लंघन किया। पुलिस का दावा है कि उसने 21 मार्च को मरकज के लोगों से संपर्क किया और उनसे इमारत खाली करने का अनुरोध किया लेकिन किसी ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। गौर करने वाली बात यह भी है कि मौलाना साद अपने एक ऑडियो क्लिप में लोगों से लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने की बात कहते सुने गए। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए दिल्ली प्रशासन को सरकार के आदेश का पालन सख्ती से कराना चाहिए था।
इसमें कहीं न कहीं दिल्ली पुलिस और प्रशासन की चूक सामने आई है। मौलाना साद का ऑडियो क्लिप 21 मार्च का बताया जा रहा है जिसमें वह लोगों से लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने के लिए कह रहे हैं। साद का ऑडियो क्लिप यदि सही है तो उन्होंने भी व्यक्तिगत रूप से लोगों की जान खतरे में डालने का काम किया है। दिल्ली सरकार का 16 मार्च का आदेश यदि सख्ती से लागू हुआ होता तो तब्लीगी जमात के सदस्यों से फैलने वाले संक्रमण पर बहुत हद तक रोक लग सकती थी।