लखनऊ : गुरुवार को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के खुल जाने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को एक सौगात मिला। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से तैयार इस एक्सप्रेस-वे के शुरू हो जाने के बाद दिल्ली से मेरठ जाने में अब 45 मिनट का समय लगेगा। आम तौर पर यह दूरी तय करने में 2.5 घंटे का समय लगता है। एक्सप्रेस-वे के खुल जाने पर इस मार्ग पर वाहनों को फर्राटे के साथ आगे बढ़ते देखा गया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा यूपी के प्रदेश मंत्री डॉ. चंद्रमोहन ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे डबल इंजन की सरकार का नतीजा है। इसके शुरू हो जाने से मेरठ विकास के एक बड़े केंद्र के रूप में उभरेगा। साथ ही उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा।
डबल इंजन की सरकार का नतीजा है एक्सप्रेस-वे : डॉ.चंद्रमोहन
उन्होंने कहा, 'यूपी की सरकार के चलते यह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का काम पूरा हो सका है। इसके पहले की समाजवादी पार्टी की सरकार ने एक्सप्रेस-वे के निर्माण में सहयोग नहीं किया। यह एक्सप्रेस-वे डबल इंजन की सरकार का परिणाम है। इस एक्सप्रेस-वे के बन जाने से आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मेरठ की दूरी समाप्त हो गई है। यह इलाका अब दिल्ली से जुड़ गया है। इसकी वजह से पलायन रुकेगा और मेरठ विकास का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा। यूपी में बनने वाले एक्सप्रेस-वे को लेकर अखिलेश यादव झूठ बोलते हैं। लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर उन्होंने एक टॉयलेट का निर्माण नहीं कराया। इसी तरह वह मेट्रो चलाने की झूठी बात भी करते हैं।'
नितिन गडकरी ने ट्वीट कर दी जानकारी
96 किलोमीटर लंबे और 14 लेन के इस एक्सप्रेस-वे को यात्रियों के लिए खोले जाने की जानकारी देते हुए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, 'दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का काम पूरा होने के बाद इसे यात्रियों के लिए खोल दिया गया है। हमने दिल्ली-मेरठ के बीच लगने वाले 2.5 घंटे के समय को घटाकर 45 करने का अपना वादा पूरा कर दिया है।' इस मार्ग की वजह से अब मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, हरिद्वार एवं देहरादून की यात्रा में लगने वाले समय में भी बचत होगी।
पीएम मोदी ने 2015 में रखी आधारशिला
बता दें कि 31 दिसंबर 2015 को पीएम नरेंद्र मोदी ने इस एक्सप्रेस वे की आधारशिला रखी। यह मार्ग भारी यातायात और वाहनों की आवाजाही का गवाह है जिसने दिल्ली के रिंग रोड के लिए एक समर्पित गलियारे की आवश्यकता का संकेत दिया। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे भी बाईपास पर गैर-दिल्ली वाहनों के लोड को कम करने के आधार पर बनाया गया था।