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लोकतंत्र केवल शब्दों में नहीं, कर्मों में भी होना चाहिए, उमर अब्दुल्ला बोले- धार्मिक स्वतंत्रता इसकी एक पहचान है

Updated Apr 28, 2022 | 15:49 IST

 नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि असहिष्णुता का माहौल इस देश के लिए अच्छा नहीं है, लोकतंत्र केवल शब्दों में नहीं कर्मों में होना चाहिए।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला
मुख्य बातें
  • उमर अब्दुल्ला ने कहा देश के लिए असहिष्णुता का माहौल अच्छा नहीं है।
  • धार्मिक स्वतंत्रता लोकतंत्र की एक पहचान है।
  • उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर मुश्किल दौर से गुजर रहा है।

नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि कि धार्मिक स्वतंत्रता लोकतंत्र की एक पहचान है। भारत एक बड़ा लोकतंत्र है लेकिन लोकतंत्र केवल शब्दों में नहीं हो सकता बल्कि कर्मों में भी होना चाहिए। नियंत्रण का यह कदम, असहिष्णुता का माहौल इस देश के लिए अच्छा नहीं है।

जम्मू-कश्मीर मुश्किल दौर से गुजर रहा है। सुरक्षा की स्थिति चिंता का विषय है, कश्मीर में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो आतंकवाद से मुक्त हो। पर्यटन को छोड़कर बहुत कम आर्थिक गतिविधि है। जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी का स्तर बहुत अधिक है। 

उन्होंने बुधवार को कहा था कि पीपुल्स अलायंस फॉर गुप्कार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) के सभी घटक बीजेपी और उसकी बी और सी टीमों को वोट बांटने से रोकने के लिए आगामी विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ेंगे।

इस बीच, उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट की इस घोषणा का स्वागत किया कि संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के संबंध में याचिकाओं को गर्मी की छुट्टी के बाद सूचीबद्ध किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि देर आए, दुरस्त आए'। हम इस तथ्य से अच्छी तरह परिचित हैं, कि कोविड के कारण, न केवल सुप्रीम कोर्ट बल्कि उच्च न्यायालयों और सत्र न्यायालयों का भी दिन-प्रतिदिन का कामकाज प्रभावित हुआ है, जिसके कारण हमारी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू नहीं हो सकी। लेकिन, हम मुख्य न्यायाधीश की यह कहते हुए सराहना करते हैं कि सुनवाई गर्मी की छुट्टी के बाद शुरू होगी। सुनवाई 5 जजों की बेंच के सामने होगी।

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