नई दिल्ली: देश के अहम राज्य महाराष्ट्र की राजनीति इनदिनों अजब ही उतार-चढ़ाव से गुजर रही है, पहले तो वहां शिवसेना बीजेपी के बीच सीएम कौन बनेगा इसको लेकर लंबे समय तक रार रही फिर जैसे तैसे वहां शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से सरकार बनाई, सरकार गठन के करीब 1 महीने बाद वहां कैबिनेट विस्तार हुआ यहां तक सब ठीक था दिक्कतें इसके बाद शुरु हुईं।
महाराष्ट्र के कैबिनेट विस्तार में मंत्री पद की उम्मीद लगाए हुए कुछ विधायकों के सपने धाराशाई हुई तो वो बगावती मूड में आ गए और कुछ ने तो पार्टी से इस्तीफा भी देने की धमकी दे डाली।
ताजा मामला महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायक कैलाश गोरंट्याल का सामने आया है बताया जा रहा है कि मंत्रिपद ना मिलने से वो खासे नाराज बताए जा रहे हैं और पार्टी से किनारा करने की बात कह रहे हैं।
इससे पहले शिवसेना के नवनियुक्त राज्य मंत्री अब्दुल सत्तार नबी ने सरकार से बाहर निकलने की धमकी दी थी,बताया जा रहा है कि राज्य मंत्री बनाए जाने से सत्तार खुश नहीं थे, वो कैबिनेट पद चाहते थे।
वहीं पहले कैबिनेट विस्तार में एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके को जगह नहीं मिल सकी,महाराष्ट्र की मजलगांव सीट से एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके का कहना था कि वो विधानसभा सदस्य के रूप में इस्तीफा देंगे। सोलंके का कहना है कि वह राजनीति करने के लिए अयोग्य हैं।
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन के पीछे राउत की भूमिका अहम मानी जाती है। बीजेपी के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर रूप इन्होंने ही अपनाया था। वही जब शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे तो ये सवाल उठे कि वो चाहते थे कि उनके भाई सुनील राउत को मंत्री बनाया जाए।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के एक महीने बाद उद्धव ठाकरे ने अपने कैबिनेट का विस्तार 30 दिसंबर को किया था। इससे पहले पिछले महीने 28 तारीख को, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस ने मिलकर गठबंधन बनाया था और उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
तब उद्धव के साथ 6 मंत्रियों - एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के दो-दो लोगों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी।