- दिनेश त्रिवेदी औपचारिक तौर पर बीजेपी में शामिल
- दिनेश त्रिवेदी बोले, बीजेपी का हिस्सा बनना गर्व की बात
- बंगाल में परिवर्तन के लिए बीजेपी की कोशिश को मिल रहा है पूरा समर्थन
नई दिल्ली। टीएमसी के कद्दावर चेहरा रहे दिनेश त्रिवेदी अब औपचारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी के हिस्सा हो चुके हैं। अगर आप बीजेपी में शामिल होने की तारीख और समय को देखें तो यह इसलिए अहम है क्योंकि टीएमसी ने शुक्रवार को 291 सीटों के लिए लिस्ट जारी की थी। इन सबके बीच दिनेश त्रिवेदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने क्या कुछ कहा वो जानना भी जरूरी है। जे पी नड्डा ने कहा कि एक विचारशील शख्स का बीजेपी में आना अपने आप में सबसे बड़ा संदेश यह है कि हम विचारों की आजादी को किस हद तक मान्यता देते हैं। इस बयान के जरिए उन्होंने टीएमसी और कांग्रेस पर निशाना साधा।
बंगाल में सत्ता कुछ लोगों में केंद्रित
दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि वो बहुत दिन से इस पल का इंतजार कर रहे थे। वो निश्चित तौर पर यह बात कहना चाहते हैं कि जिस तरह से बीजेपी ने देश के गौरव को बढ़ाया है वो काबिलेतारीफ है, बीजेपी का धुरविरोधी भी बिना नाम लिए कहता है कि पिछले 6 वर्षों में व्यापक बदलाव हुआ है। जहां तक बात बंगाल की है तो एक बात साफ है कि लड़ाई एक ऐसे पार्टी के खिलाफ है जिसने शक्ति को कुछ हाथों में केंद्रित कर दिया।
कट कमीशन का बोलबाला
उन्होंने टीएमसी के बारे में कहा कि 2011 में पार्टी जब सत्ता में आई तो ऐतिहासिक पल था। बंगाल से लेफ्ट का किला ढह चुका था। लोगोंं को उम्मीद थी कि बंगाल में नया सवेरा आएगा, उम्मीदों को पंख लगेंगे। अगर इस तरह की सोच के साथ बंगाल उठ खड़ा हुआ था उसके पीछे वजह थी। दरअसल बंगाल की खासियत यह है कि हमेशा कुछ नया प्रयोग होता रहा है। जो पूरी दुनिया एक दिन बाद सोचती है उसे बंगाल के लोग एक दिन पहले सोच लेते हैं। लेकिन पिछले एक साल में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि अगर पंचायत भवन की छोटी सी दीवाल बनती है तो उसके लिय भी कट कमीशन निर्धारित है।
क्या कहते हैं जानकार
अब इस सवाल के जवाब को जानना भी जरूरी है कि दिनेश त्रिवेदी के बीजेपी में जाने का मतलब क्या है। जानकार कहते हैं कि किसी भी पार्टी के लिए जितना जरूरी जमीन पर संघर्ष होता है उसी के हिसाब से वैचारिक तौर पर धार देने वालों की भी जरूरत होती है। दिनेश त्रिवेदी ना सिर्फ सारगर्भित तरीके से अपनी बात रखते हैं बल्कि वो ममता बनर्जी के उन दिनों के साथी रहे हैं जब वो संघर्ष कर रही थीं। ऐसे में ममता से अलग होकर बीजेपी में उनका जाना बंगाल के लिहाज से अच्छा होगा। जहां तक जमीनी स्तर पर उनके प्रभाव की बात है तो वो बड़े जननेता नहीं रहे हैं। लेकिन उनकी जुझारू सोच से बीजेपी को निश्चित तौर पर फायदा मिलेगा।