- पूरे देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 33 हजार के पार
- महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आ रहे हैं केस
- 3 मई को लॉकडाउन का है आखिरी दिन
नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ लड़ाई जारी है, अगर आंकड़ों की बात करें को भारत में यह संख्या 33 हजार के पार जा चुकी है और मरने वालों की तादाद भी एक हजार के पार है। अगर राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश में केस बढ़ रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच कुछ राहतभरी खबर भी है। दरअसल तीन मोर्चों पर भारत सही तरह से आगे बढ़ रहा है और वो मोर्चे हैं डबलिंग रेट, डेथ रेट और रिकवरी रेट। सबसे पहले हम बताएंगे कि डबलिंग रेट क्या होता है।
डबलिंग रेट के दिन में बढ़ोतरी
इस समय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से प्रेस कांफ्रेंस में इस शब्द का जिक्र किया जाता है। डबलिंग रेट को समझने से पहले कुछ आंकड़े हैं। कोविड-19 मरीजों की संख्या इस समय 33,350 है जिसमें 23,551 ऐक्टिव केस हैं। अगर पिछले 24 घंटे की बात करें तो 625 मरीज डिस्चार्ज हुए हैं और अब तक ठीक होने वाले मरीजों की बात करें तो यह संख्या 8 हजार के पार है। अब बात करेंगे डबलिंग रेट की,इसका अर्थ यह है कि मरीजों को संख्या अपने पहले की संख्या से जितना समय दूने होने में लगाती है। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आज मरीजों की संख्या 100 है और उसे 200 होने में चार दिन लगा है तो डबलिंग रेट 4 दिन का है। लॉकडाउन से पहले भारत में डबलिंग रेट 3.6 दिन का था लेकिन अब 11 दिनों में दूने मामले सामने आ रहे हैं।
डेथ रेट तीन फीसद के करीब
इसके बाद डेथ रेट की बात करते हैं। इसका अर्थ यह है कि जितने मरीज अस्पताल में भर्ती हुए उसमें कितने मरीजों का निधन हुआ। अगर आंकड़ों को देखें तो करीब 33 हजार संक्रमित लोगों में 1 हजार की मौत हुई है। इसका अर्थ यह है कि तीन फीसद लोग काल के गाल में समा गए। इसका अर्थ यह भी है कि डॉक्टरों को कोरोना संक्रमित लोगों को ठीक करने में कामयाबी मिल रही है।
रिकवरी रेट में इजाफा
अब बात करते हैं रिकवरी रेट की। इसका अर्थ है कि अस्पतालों में जितने लोग भर्ती हैं उनमें ठीक होने वालों की रफ्तार क्या है। इस समय रिकवरी रेट 23.2 फीसद है। इसका अर्थ यह है कि धीरे धीरे यह आंकड़ा बढ़ा है। संक्रमित लोग में ऐसे लोग भी हो सकते हैं जिनकी खुद की प्रतिरोधक क्षमता में इजाफे की वजह से सकारात्मक खबरें आ रही हैं। हाल ही में दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी के जरिए भी चार लोगों को बचाया गया। महाराष्ट्र में एक मरीज पर इसे सफल होने का दावा किया गया है।