- प्रदूषण फैलने से रोकने के लिए जरूरी है कि पटाखे न जलाए जाएं
- इस बार दिवाली पर केवल दो तरह के पटाखों को ही वैध ठहराया गया है
- यूपी, तमिलनाडु में दिवाली पर पटाखे जलाने का समय भी निर्धारित किया गया है
नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में दिवाली पर जलाए जाने वाले पटाखों से प्रदूषण इस कदर फैलता है कि यह श्वास संबंधी बीमारियों का कारण बन जाता है। आंखों में जलन, नाक से पानी आना, सांस लेने में दिक्कत सहित कई परेशानियों से लोगों को दो-चार होना पड़ता है। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर रोक लगा दी थी और कहा था कि अब केवल हरित पटाखे (green crackers) ही बनाए और बेचे जाएंगे। ये पटाखे अपेक्षाकृत लगभग 30 फीसदी कम प्रदूषण फैलाते हैं।
पटाखों से होने वाले प्रदूषण को देखते हुए इस बार केवल दो तरह के पटाखों- हरित अनार और फुलझड़ी को ही वैध घोषित किया गया है। दिल्ली पुलिस भी इसे लेकर मुस्तैद है कि लोग ग्रीन क्रैकर्स ही जलाएं, ताकि अधिक प्रदूषण न फैले। पुलिस ने इसके लिए बकायदा कई टीमों का गठन भी किया है, जो विक्रेताओं के यहां भी जाकर यह देख रही है कि वे किस तरह के पटाखे बेच रहे हैं। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई भी की जा रही है।
कई राज्यों ने पटाखे जलाने को लेकर समय भी निर्धारित किया है। दिल्ली से सटे यूपी की बात की जाए तो यहां केवल पर्यावरण के अनुकूल (eco-friendly) पटाखे जलाने की ही अनुमति है और वह भी सिर्फ दो घंटे के लिए। इसके लिए रात 8 बजे से 10 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है।
उधर, तमिलनाडु में भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पटाखे जलाने के लिए समय तय किए हैं। राज्य में दो चरणों में यह समय तय किया गया है। यहां एक बार सुबह 6 बजे से 7 बजे तक और फिर रात में 7 बजे से 8 बजे का समय पटाखे जलाने के लिए तय किया गया है। बोर्ड ने यह भी कहा कि अस्पताल और पूजाघरों के आसपास अधिक आवाज वाले पटाखे न जलाए जाएं।