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Dubai द्वारा कश्मीर में निवेश करने से पाकिस्तान हैरान, पूर्व राजनयिक बोले- हमारे हाथ से फिसला मामला

Updated Oct 21, 2021 | 15:14 IST

कश्मीर में दुबई द्वारा निवेश किए जाने की खबर सामने आने के बाद पाकिस्तान हैरान और परेशान है। पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने कहा है कि सरकार की नीतियों की वजह से मामला हमारे हाथ से फिसल रहा है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
दुबई द्वारा कश्मीर में निवेश करने से पाकिस्तान हैरान
मुख्य बातें
  • कश्मीर में निवेश के लिए दुबई ने किए हैं समझौते पर हस्ताक्षर
  • दुबई के कदम से पाकिस्तान को लगा झटका
  • पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक बासित बोले- हमारी सरकार की नीतियां निराशाजनक

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में मनोज सिन्हा प्रशासन ने जहां आतंकवादियों को पकड़ने के लिए कश्मीर घाटी में सुरक्षा ग्रिड को बढ़ा दिया है, वहीं कामगारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए तत्काल उपाय करने का भी आदेश दिया है। द डिस्पैच की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने जोर देकर कहा है कि वह किसी भी परिस्थिति में झुकने वाली नहीं है। दुबई सरकार के साथ निवेश समझौता एक स्पष्ट संदेश है कि आर्थिक विकास और शांति निर्माण साथ-साथ चलेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारी सुरक्षा चिंताओं के बीच में निवेश समझौते का समय शांति के लिए शत्रुतापूर्ण तत्वों को हराने के लिए साहस का एक स्पष्ट संकेत है।

बासित बोले- हमारे पास कोई नीति नहीं

इस डेवलपमेंट ने पाकिस्तान को हैरान कर दिया है। भारत में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत रहे अब्दुल बासित ने कहा कि अब जब समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो गए हैं, तो यह स्पष्ट है कि मामला पाकिस्तान के हाथ से फिसल रहा है। उन्होंने कहा, 'हम अंधेरे में अपने हाथ-पैर हिला रहे हैं। ऐसा लगता है कि हमारे पास कश्मीर की कोई नीति नहीं बची है। यह दुखद है। मौजूदा सरकार का लापरवाह रवैया मामले को खराब करेगा।' उन्होंने कहा, 'पिछली सरकारों ने भी कश्मीर पर पाकिस्तान की नीति को कमजोर करने में योगदान दिया है।'

पहला समझौता!

'यह (एमओयू पर हस्ताक्षर) पाकिस्तान और जम्मू और कश्मीर दोनों के संदर्भ में भारत के लिए एक बड़ी सफलता है क्योंकि ओआईसी (इस्लामिक सहयोग संगठन) के सदस्यों ने हमेशा कश्मीर पर पाकिस्तान की संवेदनाओं को सबसे आगे रखा है।' कश्मीर में श्रमिकों की ताजा हत्याओं के बाद लोगों में डर का माहौल है और सरकार की रणनीति पर भी सवाल उठाया जा रहा है। हालांकि इन घटनाओं के महज 24 घंटे से भी कम समय में , श्रीनगर में राजभवन में एक दुर्लभ साझेदारी को औपचारिक रूप देने वाला एक छोटा लेकिन हाई प्रोफाइल समारोह आयोजित किया गया। यह एक विदेशी सरकार-जम्मू और कश्मीर के बीच संभवत: इस तरह का पहला समझौता है।

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में, जम्मू और कश्मीर सरकार ने दुबई सरकार के साथ साझेदारी उद्यमों में औद्योगिक क्षेत्र और व्यावसायिक उद्यमों के विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ट्वीट कर कहा, 'दुबई सरकार और जम्मू कश्मीर सरकार ने एक समझौता किया है, जो केंद्र शासित प्रदेश को औद्योगीकरण के सतत विकास में नई ऊंचाईयों को छूने में मदद करेगा। आज जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश की विकास यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।'

गेम चेंजर हो सकता है समझौता

कागजात पर क्रमश: जम्मू और कश्मीर सरकार और दुबई सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले रंजन प्रकाश ठाकुर और मोहम्मद इब्राहिम अल शैबानी द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। ठाकुर जम्मू और कश्मीर में उद्योग और वाणिज्य विभाग में प्रधान सचिव हैं, अल शैबानी एक गैर-शाही सरकारी अधिकारी हैं, जो दुबई के अमीरात के एक प्रमुख सरकारी निकाय, द रूलर कोर्ट, दुबई सरकार के महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं। यह समझौता आर्थिक विकास में एक गेम-चेंजर हो सकता है लेकिन इसकी वास्तविक ताकत राजनीतिक मूल्य में निहित है। रिपोर्ट के अनुसार यह समझौता जम्मू-कश्मीर और दुनिया में शांति के लिए हानिकारक तत्वों को एक करारा जवाब है।

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