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अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को ED ने भेजा रिमाइंडर, 14.40 लाख रुपए जुर्माना जमा करें

Updated Jul 14, 2021 | 22:07 IST

पाकिस्तान समर्थक जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को ईडी ने 19 साल पुराने मामले में 14.40 लाख रुपए का जुर्माना जमा करने का रिमाइंडर भेजा।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी
मुख्य बातें
  • वर्ष 2002 में गिलानी के आवास पर इनकम टैक्स छापे के दौरान विदेशी मुद्रा जब्त की गई थी।
  • गिलानी पर इस मामले में जुर्माना लगाया गया था।
  • इसी मामले में गिलानी को ईडी ने रिमाइंडर भेजकर भुगतान करने के लिए कहा।

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय ने पाकिस्तान समर्थक जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को विदेशी मुद्रा कानून के कथित उल्लंघन में 10,000 अमेरिकी डॉलर के अवैध कब्जे के 19 साल पुराने मामले में उन पर लगाए गए 14.40 लाख रुपए का जुर्माना जमा करने के लिए एक रिमांडर भेजा। अधिकारियों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। एक मामले में गिलानी को रिमाइंडर भेजा गया था जिसमें विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत जारी एक आदेश के तहत एजेंसी द्वारा करीब 6.90 लाख रुपए के बराबर विदेशी मुद्रा को भी जब्त कर लिया गया था। 

गौर हो कि 2002 में श्रीनगर के हैदरपुरा इलाके में गिलानी के आवास पर इनकम टैक्स छापे के दौरान विदेशी मुद्रा जब्त की गई थी। 91 वर्षीय गिलानी पर इस मामले में जुर्माना लगाया गया था। गिलानी द्वारा राशि अभी तक जमा नहीं की गई है, इसलिए ईडी ने हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के पूर्व अध्यक्ष गिलानी को एक रिमाइंडर भेजकर जल्द से जल्द राशि का भुगतान करने के लिए कहा। गिलानी के वकील ने एक लिखित जवाब दिया था और उनके आवास से विदेशी मुद्रा की बरामदगी और उसके बाद की जब्ती से इनकार किया था।

ईडी ने इनकम टैक्स रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद मामला अपने हाथ में लिया और गिलानी को श्रीनगर में पेश होने के लिए समन भी जारी किया।
गिलानी के वकील ने तब एक लिखित जवाब दिया था और उनके आवास से विदेशी मुद्रा की बरामदगी और बाद में जब्ती से इनकार किया था। 

फेमा के तहत, भारत में विदेशी मुद्रा लेनदेन को विनियमित किया जाता है और निवासी भारतीयों द्वारा विदेशी मुद्रा का अधिग्रहण और कब्जा सामान्य या विशेष अनुमति के अनुसार संचालित किया जाना आवश्यक है। 

गिलानी के पास विदेशी मुद्रा के अधिग्रहण और कब्जे के लिए ऐसी कोई अनुमति या वास्तविक स्पष्टीकरण नहीं था।  एजेंसी ने पहले कहा था कि इसलिए, उन्हें 30 दिनों के भीतर फेमा के तहत न्यायनिर्णायक अधिकारी को कारण बताने के लिए कहा गया है कि बरामद मुद्रा को जब्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए और उन पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
 

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