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Uttarakhand Glaciar Disaster: ग्लेशियर टूटने से भारी नुकसान, राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह

Updated Feb 09, 2021 | 13:25 IST

चमोली के तपोवन में आज तीसरे दिन भी सुरंग में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश जारी है। चमोली की घटना पर गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा को जानकारी दी।

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तपोवन में सुरंग में फंसे लोगों को निकालने की कवायद जारी
मुख्य बातें
  • रविवार को चमोली के रैणी गांव के पास नदी में एकाएक पानी आने एनटीपीसी का प्लांट तबाह हो गया
  • तपोवन में छोटी सुरंग में फंसे लोगों को निकालने में कामयाबी, बड़ी सुरंग से निकालने का काम जारी
  • राहत बचाव काम में एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ का साझा प्रयास जारी

चमोली। तपोवन में सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए ऑपरेशन अभी भी जारी है। राज्यसभा को गृहमंत्री अमित शाह ने विस्तार से पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अभी 197 लोग लापता है इसके साथ ही सुरंग में फंसे हुए लोगों को बचाने की कवायद युद्धस्तर पर जारी है। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी की 520 मेगावाट परियोजना को नुकसान हुआ है। लेकिन राज्य के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा नहीं है।

राहत बचाव कार्य जारी
एसडीआरएफ के जवानों के साथ अन्य बचाव दल के सदस्य पूरे समय से लगे हुए हैं। तपोवन टनल से मलवा हटाने का काम रातभर चलता रहा। आईटीबीपी की टीम सुरंग साफ करने में जुटी है। सेक्टर मुख्यालय, आईटीबीपी देहरादून की डीआईजी अपर्णा कुमार का कहना है कि ऑपरेशन को पूरी रात चलाया गया और बहुत सारे मलबे को हटा दिया गया है। हम अब तक कोई संपर्क स्थापित नहीं कर पाए हैं। अभी तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक 120 मीटर टनल की सफाई हो चुकी है और 180 मीटर पर सुरंग दूसरी तरफ मुड़ती है इसका अर्थ यह है कि मलबा उसके आगे नहीं होगा। 

राज्यसभा में अमित शाह ने क्या कहा

  1. ITBP के 450 जवान, NDRF की 5 टीमें, भारतीय सेना की 8 टीमें, एक नेवी टीम और 5 IAF हेलीकॉप्टर खोज और बचाव अभियान में लगे हुए है।शियर टूटने से भारी तबाही
  2. 13 गांवों का संपर्क टूट गया है।दूसरी टनल में 35 लोग फंसे हैं।रविवार की घटना के बाद सभी प्रभावित इलाकों में विद्युत बहाली।24 घंटे चमोली की स्थिति पर नजर है। आर्मी की 8 टीमें रेस्क्यू में शामिल, अतिरिक्त टीमें भेजी जा सकती हैं।
  3. राज्य सरकार ने जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों के लिए 4 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की है।एक पूल के धुल जाने के कारण, हमने इस क्षेत्र के 13 छोटे गाँवों से कनेक्शन खो दिया है। हम हेलिकॉप्टरों के माध्यम से इन गांवों में नियमित रूप से भोजन और चिकित्सा आपूर्ति भेज रहे हैं।
  4. एनटीपीसी के 12 लोगों को प्रभावित इलाके में एक सुरंग से सुरक्षित निकाला गया है। ऋषि गंगा परियोजनाओं के 15 लोगों को भी सुरक्षित किया गया है। एनटीपीसी की एक अलग परियोजना की सुरंग में, लगभग 25-35 लोग फंस सकते हैं। उन्हें खाली करने के लिए सुरक्षित मिशन चल रहे हैं


यूपी के तीन मंत्री चमोली के लिए रवाना
दो कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, धर्म सिंह सैनी और राज्य मंत्री विजय कश्यप, मजदूरों के परिवारों की मदद करने के लिए, यूपी के अन्य लोग इस त्रासदी से प्रभावित हुए। फ्लैश फ्लड में मेरठ, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती और बलरामपुर जैसे जिलों के मजदूरों के लापता होने की सूचना है। मंत्रियों को यूपी से बचाव और राहत के लिए अधिकारियों की एक बैटरी द्वारा समर्थित किया जाएगा।यूपी सरकार ने मारे गए लोगों के आश्रितों के लिए 2 लाख रुपये की घोषणा की है। प्रभावित लोगों के परिवारों की सहायता के लिए दो हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।

एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ का साझा प्रयास
ग्लेशियर हादसे में अभी तक 26 शवों को निकाला जा चुका है और 97 लोग लापता है। पिछले दो दिन से बड़ी सुरंग में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश की जा रही है। उस सुरंग में भारी मात्रा में मलबा के जमा होने से राहत बचाव में मुश्किल आ रही है।एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान डटे हुए हैं। मौके पर मौजूद राहत कर्मियों का कहना है कि सुरंग में टनों मलबा है और उसे निकालने में दिक्कत आ रही है लेकिन किसी भी तरह से फंसे लोगों को निकालने की कवायद जारी है। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि सुरंग में फंसान लोगों को बचाने की कोशिश जारी है और उम्मीद है दोपहर तक हम मलबे को पूरी तरह से हटा पाने में कामयाब होंगे।

तबाही वाला रविवार

रविवार की सुबह चमोली के रैणी गांव के पास तबाही का जो मंजर दिखा वो डराने वाला था। लाखों टन मलबा उपरी इलाकों से आने लगा और तपोवन के बाक ऋषि गंगा और धौली गंगा में ऊंची ऊंची लहरें उठने लगीं। सैलाब के रास्ते में जो कुछ आया वो तिनके की तरह बह गया। पानी के वेग ने डैम की शक्तिशाली दीवार को ढहा दिया। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट तो पूरी तरह तबाह हो गया। इसके साथ ही एनटीपीसी के पावप प्लांट को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वैज्ञानिक आधार पर कहा जा सकता है कि आपदा के लिए ग्लेशियर का टूटना जिम्मेदार नहीं है, बल्कि दो तीन दिन पहले वहां जो बर्फ गिरी थी, उसमें एक ट्रिगर प्वाइंट से लाखों मीट्रिक टन बर्फ एक साथ नीचे की तरफ आई और उसकी वजह से 30 लाख क्यूबिक मीटर पानी एकाएक प्लांट साइट पर आ गया। 

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