- पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है, जिस पर विवाद गहराता जा रहा है
- जस्टिस गोगोई ने कहा कि राज्यसभा की सदस्यता लेने के बाद वह मीडिया से इस बार में विस्तृत बातचीत करेंगे
- जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने ही वर्षों से लंबित अयोध्या मसले पर ऐतिहासिक फैसला दिया था
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने के बाद से ही इस पर विवाद जारी है। विपक्षी दलों के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भी इस पर सवाल उठाए हैं। कई कानूनी जानकारों ने इस पर सवाल उठाए हैं तो कुछ के मुताबिक इसमें कुछ भी गलत नहीं है। इस बीच पूरे प्रकरण को लेकर जस्टिस गोगोई क्या कहते हैं, इसे लेकर हर किसी की उत्सुकता बनी हुई है, पर उन्होंने इस बारे में अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है और केवल इतना कहा कि राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद ही वह स्थिति स्पष्ट करेंगे।
'अच्छा महसूस कर रहा'
'टाइम्स नाउ' ने भी उनका पक्ष जानने की कोशिश की, जिस पर उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि संसद के उच्च सदन की सदस्य की शपथ लेने के बाद ही वह कुछ बोलेंगे। फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा, 'यह एक निर्णय था, जो मैंने लिया... मैं अच्छा महसूस कर रहा हूं। इस बारे में विस्तार से मैं राज्यसभा की सदस्यता के लिए शपथ लेने के बाद मीडिया से बात करूंगा।'
'...करना होगा इंतजार'
यह पूछे जाने पर कि आखिर उनकी उम्मीदें और अब उनकी भूमिका क्या होगी, उन्होंने कहा, 'यह जानने के लिए आपको इंतजार करना होगा।' वह मीडिया से कब मुखातिब होंगे, इस पर पूर्व सीजेआई ने कहा, 'शपथ लेने के बाद।' इस बीच यह स्पष्ट नहीं है कि जस्टिस गोगोई राज्यसभा की सदस्यता की शपथ कब लेंगे। ऐसी अटकलें हैं कि वह कल (बुधवार, 18 मार्च) शपथ ले सकते हैं। लेकिन पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने इससे इनकार किया। यह पूछे जाने पर कि क्या वह कल (बुधवार) शपथ लेने जा रहे हैं, उन्होंने कहा, 'नहीं मैं गुवाहाटी में हूं।'
सुनाए कई बड़े फैसले
यहां उल्लेखनीय है कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। उनका मनोनयन कानून के क्षेत्र में सराहनीय काम के लिए किया गया है। वह करीब 13 महीने तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर रहे। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए। अयोध्या मसले पर ऐतिहासिक फैसला भी पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही सुनाया था, जिसके बाद यहां राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी रहे शामिल
जस्टिस गोगोई सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे जैसे अहम मामलों में फैसला देने वाली पीठ में भी शामिल रहे। 17 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से सेवानिवृत्त हुए जस्टिस गोगोई, जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस मदन बी लोकुर के साथ 12 जनवरी, 2018 को ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार जजों में भी शामिल रहे, जिन्होंने जजों को चुनिंदा मामले सौंपने को लेकर तत्कालीन सीजेआई पर सवाल उठाए थे। इससे न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप को लेकर भी सवाल उठे थे।