- टिकैत ने कहा है कि हमने आंदोलन की शुरुआत में आगाह किया था कि अगला नंबर बैंकों का होगा
- 6 दिसंबर को संसद में सरकारी बैंकों के निजीकरण का बिल पेश होने जा रहा है
- टिकैत ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ देशभर में साझा आंदोलन की जरूरत है
नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की बात सरकार कर रही है, इसे लेकर बैंक कर्मी खासे उद्देलित हैं और इस मंशा का पुरजोर विरोध कर रहे हैं, इसे लेकर बैंक कर्मी किसी भी मोर्चे पर लड़ाई लड़ने के मूड में हैं, वहीं उनके समर्थन में किसान नेता राकेश टिकैत भी आ गए हैं और उन्हों ने कहा है कि निजीकरण के खिलाफ देशभर में साझा आंदोलन की जरूरत है।
राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा है कि हमने आंदोलन की शुरुआत में आगाह किया था कि अगला नंबर बैंकों का होगा। नतीजा देखिए, 6 दिसंबर को संसद में सरकारी बैंकों के निजीकरण का बिल पेश होने जा रहा है। निजीकरण के खिलाफ देशभर में साझा आंदोलन की जरूरत है।
गौर हो कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर 16 और 17 दिसंबर को बैंकों में दो दिन की देशव्यापी हड़ताल की जायेगी। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस नौ सरकारी बैंकों के यूनियन का संयुक्त मंच है।
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस का कहना है कि सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग सुधार विधेयक पारित कराना चाहती है जिससे निजीकरण का रास्ता साफ हो जाए।यूनाइटेड फोरम इस बिल का विरोध करने के लिये आंदोलन के तहत धरना प्रदर्शन कर रहा है साथ ही और विधेयक के विरोध में 16 व 17 दिसंबर की दो दिन की देशव्यापी हड़ताल की जायेगी।
बैंक कर्मचारियों का आंदोलन जारी है
उसका कहना है कि हम देश में कर्मचारी एवं जन समर्थित बैंकिंग नीतियों के साथ देश के आर्थिक विकास से जुड़ी नीतियों के समर्थक हैं न कि बैंकों के निजीकरण किए जाने के इसीलिए बैंक कर्मचारियों का यह आंदोलन जारी है, हड़ताल से संबंधित नोटिस यूनाइटेड फोरम ने भारतीय बैंक संघ को दे चुका है।