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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिले उत्तराखंड के किसान, कृषि बिलों को लेकर जताया समर्थन

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Updated Dec 13, 2020 | 18:09 IST

दिल्ली में उत्तराखंड के किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आवास पर उनसे मुलाकात की और तीन नए कृषि कानूनों को लेकर अपना समर्थन दिया।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
उत्तराखंड के किसान

नई दिल्ली: जहां एक तरफ नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब के किसान डटे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ कई किसान ऐसे भी हैं जो इन कृषि कानूनों के समर्थन में हैं। इन्हीं तीन कृषि कानूनों को अपना समर्थन देने के लिए उत्तराखंड के किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से दिल्ली में मुलाकात की। कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे भी इस दौरान उपस्थित थे। 

किसानों से मुलाकात के बाद नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, 'आज उत्तराखंड के किसानों ने कृषि कानूनों को समर्थन देते हुए मुझसे मुलाकात की। मैं उन किसानों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने कानूनों को समझा, अपने विचार व्यक्त किए और इसका समर्थन किया।' उन्होंने कहा कि उनको (विपक्ष) विरोध करना है और देश को गुमराह करना है। उन्होंने धारा 370 को हटाने का भी विरोध किया था, राम मंदिर का भी और CAA का भी। 

पहले भी किसानों ने किया समर्थन

इससे पहले हरियाणा के कई किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर नए कृषि क़ानूनों के प्रति समर्थन जताया था। किसानों ने कहा था कि कहा कि नए कानूनों से कृषकों और खेती-बाड़ी को लाभ होगा। समूह ने यह भी कहा कि विरोध कर रहे किसानों को राजनीतिक लाभ के लिए भ्रमित किया गया है। किसान संगठनों ने एक ज्ञापन भी कृषि मंत्री को सौंपा जिसमें कहा कहा कि ये संगठन मांग करते हैं कि तीन नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाए।

अपनी मांगों पर अड़े आंदोलनकारी किसान

वहीं आंदोलन कर रहे किसानों ने ऐलान किया है कि कल सारे संगठनों के मुखिया सुबह 8 बजे से शाम पांच बजे तक एक दिन के लिए भूख हड़ताल रखेंगे। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, 'हमारा रुख स्पष्ट है, हम चाहते हैं कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए। इस आंदोलन में भाग लेने वाले सभी किसान यूनियन एक साथ हैं।' वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमें नजर रखने की जरूरत है ताकि कोई गलत तत्व हमारे बीच न हों। हमारे सभी युवाओं को सतर्क रहने की जरूरत है। अगर सरकार बात करना चाहती है तो हम एक समिति गठित करेंगे और आगे का निर्णय लेंगे।

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