- 26 जनवरी की हिंसा के बाद कई संगठनों ने आंदोलन से खुद को अलग किया
- दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी मैदान खाली कराया, 15 किसानों को हिरासत में लिया
- सरकार हिंसा के लिए हमें दोषी ठहराकर आंदोलन को खत्म करने का प्रयास कर रही है: संयुक्त किसान मोर्चा
नई दिल्ली: 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा के बाद पिछले 2 महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन एकदम से बैकफुट पर आ गया है। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों को पुलिस ने अल्टीमेटम देना शुरू कर दिया है, वहीं हिंसा के बाद कई संगठनों से आंदोलन से खुद को अलग कर लिया है। अब सवाल है कि आखिर किसान आंदोलन कहां खड़ा है? और इसका भविष्य क्या है?
हिंसा के बाद टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर पुलिसफोर्स बढ़ा दी गई है। लेकिन सबसे ज्यादा हलचल गाजीपुर बॉर्डर पर देखी जा रही है। गाजियाबाद प्रशासन ने किसानों से धरनास्थल खाली करने को कहा है। लेकिन भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत जिद पर अड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि आत्महत्या कर लेंगे लेकिन जब तक कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। इस दौरान वो भावुक भी हो जाते हैं और कैमरों के सामने खूब रोते हैं।
उन्होंने कहा, 'जब तक सरकार से बात नहीं होगी धरना प्रदर्शन समाप्त नहीं होगा। जब तक गांव के लोग ट्रैक्टरों से पानी नहीं लाएंगे, पानी नहीं पीऊंगा। प्रशासन ने पानी हटा दिया, बिजली काट दी, सारी सुविधा हटा दी।'
आंदोलन खत्म कर रहे संगठन
वहीं भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि हम धरना तो समाप्त कर देंगे। धरना स्थल (गाज़ीपुर बॉर्डर) पर पानी, बिजली अन्य सुविधाएं बंद कर दिए गए हैं। अब हम वहां क्या करेंगे? उठ ही जाएंगे। इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) और बीकेयू (एकता) के सदस्यों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। बीकेयू (लोक शक्ति) के एसएस भाटी कहते हैं, 'लाल किले की घटना से हम भी आहत हैं। सरकार ने हमें आश्वासन दिया है कि वे किसानों के साथ बातचीत करते रहेंगे।'
साथ ही दिल्ली पुलिस ने कहा, '26 जनवरी को हिंसा में शामिल होने और कानूनों का उल्लंघन करने के कारण बुराड़ी के डीडीए ग्राउंड से लगभग 30 किसान सिंघू बॉर्डर की ओर चले गए हैं और अन्य किसानों (लगभग 15) को हिरासत में लिया गया है। बुराड़ी का मैदान खाली कराया जा रहा है।'
किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी
इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के संबंध में एफआईआर में नामजद किसान नेताओं के खिलाफ एक लुकआउट सर्कुलर जारी किया है। पुलिस ने कहा कि उनके पासपोर्ट को सरेंडर करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे देश से बाहर न जाएं। एफआईआर में किसान नेता राकेश टिकैत, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चंदूनी, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्ज गिल, योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर, अविक साहा और जोगिंदर सिंह सहित कुल 37 किसान नेताओं का नाम है। किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिसा के संबंध में इन किसान नेताओं को नामजद किया गया है।
394 पुलिसकर्मी घायल, कई ICU में
किसानों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें धारा 147, 148 (हिंसा या दंगा करने से संबंधित), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 307 (हत्या का प्रयास) शामिल हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हिंसा में 394 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें से अधिकांश अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि कुछ गंभीर पुलिसकर्मियों को आईसीयू में भी भर्ती कराना पड़ा है। अभी तक 25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया गया है।