- भजन पर नहीं होनी चाहिए आपत्ति
- मैं खुद भजन गाता हूं- फारुक अब्दुल्ला
- भजन गाने से धर्मरिपेक्षता खतरे में कैसे
पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में एक स्कूल के वीडियो को शेयर किया था जिसमें छात्र गांधी जी के प्रिय भजन का गा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर में बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे को थोपने का काम कर रही है। लेकिन नेशनल कांफ्रेस के कद्दावर नेता फारुक अब्दुल्ला की राय इससे अलग है। उन्होंने कहा कि भजन तो वो भी गाते हैं इसका मतलब क्या है कि वो सांप्रदायिक है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह पर हिंदू समाज से जुड़े लोग भी जाते हैं क्या वो मुसलमान बन जाते हैं।
महबूबा को था ऐतराज
महबूबा मुफ्ती ने एक वीडियो शेयर कर कहा था कि स्कूलों में रघुपति राघव राजराम। एक तरफ धार्मिक नेताओं को जेल में डाला जा रहा है। जामा मस्जिद को बंद करके बच्चों को हिंदू भजन गाने के लिए कहा जा रहा है। इससे बीजेपी का हिंदुत्व एजेंडा उजागर हो गया है। हालांकि जम्मू कश्मीर शिक्षा निदेशालय ने कहा कि महबूबा के आरोपों में दम नहीं है। दरअसर गांधी जयंती के दिन स्कूलों से कहा गया था कि वो गांधी जी के प्रिय भजन को शामिल करें।
भजन पर आपत्ति क्यों
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि हम टू नेशन थ्योरी में भरोसा नहीं करते। भारक सांप्रदायिक देश नहीं है। वो खुद भजन गाते हैं, सवाल यह है कि इसमें खामी क्या है। इस तरह के बयानों से देश के सामाजिक धार्मिक ताने बाने पर असर पड़ता है।लिहाज किसी को भी इस तरह के बयानों से बचना चाहिए। राजनीति के लिए तमाम मुद्दे हैं, उन विषयों के जरिए सरकार या सत्ता पक्ष की घेरेबंदी की जा सकती है। सच तो यह है कि इस तरह के बयानों से उन लोगों को फायदा मिलता है जो एकता में भरोसा नहीं करते हैं।