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Logtantra: छत्रपति शिवाजी के दुश्मन की कब्र पर 'फूल'! Satara का वो विवाद जो महाराष्ट्र की सियासत बदलेगा ? 

Updated May 26, 2022 | 21:06 IST

Afzal Khan grave in satara: औरंगजेब के बाद अफजल खान की कब्र को लेकर सियासत तेज हो गई है। राज ठाकरे की धमकी के बाद महाराष्ट्र सरकार ने यहां सुरक्षा बढ़ा दी है।

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नई दिल्ली:  महाराष्ट्र (Maharashtra) में पहले मुगल शासक औरंगजेब  की औरंगाबाद स्थित कब्र को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। अब सतारा जिले में प्रतापगढ़ किले की तलहटी पर बनी अफजल खान (Afzal Khan) की कब्र को लेकर नया विवाद उठ खड़ा हुआ है। बीते दिनों औरंगजेब (Aurangabad) में औरंगजेब की कब्र पर पुलिस ने एहतियातन सुरक्षा व्यवस्था को काफी कड़ा कर दिया था।

गौर हो कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मंदिर को लेकर चल रहे विवाद और राज ठाकरे की ओर से दिए गए विवादित बयान के चलते सतारा जिले के प्रतापगढ़ की तलहटी में अफजल खान की कब्र पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 102 बटालियन रैपिड एक्शन फोर्स मुंबई के सहायक कमांडर और उनके 50 जवान और 15 क्यूआरटी जवान अफजल खान की कब्र की रखवाली कर रहे हैं।

 राज ठाकरे ने क्या कहा था

हाल ही में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा था कि सतारा में अफजल खान की छोटी सी कब्र अब मस्जिद बन चुकी है। अगर राज्य सरकार इसे ध्वस्त नहीं करती है तो हमारे कार्यकर्ता इसे ध्वस्त करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था अफजल खान हमारे छत्रपति शिवाजी महाराज की हत्या करने बीजापुर से आया था लेकिन हमारे महाराज ने उसे मार दिया। अब प्रतापगढ़ किले के पास उसकी 6.5 फुट की कब्र आज 15 हजार फुट के इलाके में फैल चुकी है।यहां मस्जिद बनाई जा रही है, आखिर, इसकी फंडिंग कौन कर रहा है। राज ठाकरे के इस बयान के बाद सवाल यह उठता है कि अफजल खान कौन था और उसका शिवाजी, औरंगजेब से क्या नाता था। 

शिवाजी ने चालाक अफजल खान को ऐसे मारा

शिवाजी को शिकस्त देने के लिए अफजल खान बीजापुर से एक बड़ी सेना लेकर निकला। शिवाजी ने अफजल खान की बड़ी सेना और अपनी गुरिल्ला युद्ध की ताकत को देखते हुए अहम कदम उठाया।  वह महाबलेश्वर की पहाड़ियों में मौजूद प्रतापगढ़ के किले में पहुंच गए। घने जंगल से घिरे इस मजबूत किले को जीतना किसी के लिए भी आसान नहीं था। जल्द ही अफजल खान और उसके सैनिकों को यह अहसास  हो गया कि प्रतापगढ़ किले को जीतना आसान नहीं है। इस बीच लंबे समय तक घेराबंदी होने से अफजल की सेना को खाने-पीने की किल्लत होने लगी। 

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मामला बिगड़ता देख अफजल खान ने शिवाजी से सुलह की पेशकश की। उसने दूत के जरिए संदेश भेजा कि अगर वह उससे मिलने आए और हथियार डाल दें तो उन्हें इनाम दिया जाएगा । शिवाजी भी सोची-समझी रणनीति के तहत अफजल से मिलने को राजी हो गए। लेकिन उन्होंने यह शर्त रखी कि यह मुलाकात किले के पास घाटियों में होगी। इस मुलाकात में यह भी शर्त थी कि शिवाजी और अफजल की मुलाकात बिना हथियारों की होगी।

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भारतीय इतिहासकारों के अनुसार इसके बाद शिवाजी जब अफजल खान के सामने पहुंचे तो उसने गले मिलने के बहाने उन पर कटार से वार कर दिया। लेकिन कवच ने शिवाजी को बचा लिया। इधर शिवाजी को अफजल खान के धोखे का अंदाजा पहले से था। इसलिए उन्होंने बघनखा पहन रखा था और उसी से उन्होंने अफजल का पेट चीर दिया। और इस बीच शिविर के बाहर खड़े शिवाजी के भरोसेमंद संभाजी कावजी ने अंदर पहुंचकर अफजल का सिर धड़ से अलग कर दिया। और उसके बाद शिवाजी की सेना ने अफजल खान की सेना पर हमलाकर उस लड़ाई को जीत लिया।

'औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है'

वहीं औरंगाबाद में औरंगजेब का मकबरा अब जनता के लिए खोल दिया गया है, ओवैसी के दौरे के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की धमकी के बाद इसे पांच दिनों के लिए बंद कर दिया गया था।  महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रवक्ता गजानन काले ने कहा था कि औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है और उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां न जाएं। इसके बाद औरंगाबाद के खुल्दाबाद इलाके की एक मस्जिद समिति ने मकबरे में ताला लगाने की कोशिश की थी। मकबरा खुल्दाबाद इलाके में ही है। इस पूरे प्रकरण के बाद एएसआई ने मकबरे की सुरक्षा बढ़ा दी थी।

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