- राहुल गांधी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का पलटवार, दिया हर सवालों का जवाब
- हम अब अपने मन की बात ज्यादा खुलकर करते हैं- विदेश मंत्री
- सीमा पर बुनियादी ढांचे में हुए सुधार को लेकर एस जयशंकर ने कहा, - हमारे जवानों से पूछिए
नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार को एक वीडियो जारी करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा और विदेश नीति पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को दावा किया कि भारत सरकार की विदेश नीति के ध्वस्त होने की स्थिति में आने और अर्थव्यवस्था की हालत खराब होने के कारण चीन सीमा पर हमारे खिलाफ आक्रामक हुआ है। राहुल द्वारा उठाए गए हर सवाल का अब विदेश मंत्री एस जयशंकर की तरफ से जवाब दिया गया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर राहुल के हर सवाल का जवाब दिया है और उन्हें फिर से एनालिसिस करने की सलाह दी है।
विश्लेषकों से पूछें
विदेश मंत्री ने राहुल गांधी के वीडियो को रिट्वीट करते हुए लिखा, 'राहुल गांधी ने विदेश नीति पर कुछ सवाल उठाए हैं जिनके जवाब यहां है। हमारी प्रमुख भागीदारी मजबूत हैं। अमेरिका, रूस, यूरोप और जापान के साथ नियमित अनौपचारिक बैठकें हुई हैं। भारत ने चीन के साथ राजनितिक रूप से भी संवाद रखा। विश्लेषकों से पूछ लें।'
जवानों से पूछें
अपने अगले ट्वीट में विदेश मंत्री ने लिखा, 'हम अपने मन की बात अब ज्यादा खुलकर करते हैं। सीपैक पर, बीआरआई पर, दक्षिण चीन सागर पर, संयुक्त राष्ट्र से घोषित आतंकवादियों पर.. ये सब उदाहरण हैं, मीडिया से पूछें।' अपने तीसरे ट्वीट में जयशंकर ने लिखा, 'और सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर की पुरानी समस्या को दूर किया। 2008-14 के साथ 2014-20 की तुलना करें। बजट में 280% तक की बढ़ोत्तरी की, 32% सड़क निर्माण, 99% पुल और 6 गुना सुरंगों का निर्माण किया। हमारे जवानों से पूछें।'
दिया पुराने संबंधों का हवाला
अपने अगले ट्वीट में एस जयशंकर ने कहा, 'और हमारे पड़ोसियों के बारे में कुछ तथ्य: श्रीलंका और चीन के बीच हंबनटोटा बंदरगाह समझौता 2008 में संपन्न हुआ था। मालदीव के साथ संबंध कमजोर हो गए थे। 2012 में राष्ट्रपति नशीद के शीर्ष पर काबिज होने के बाद अब संबंधों में बदलाव है। हमारे व्यवसायों से पूछें।' राहुल के अगले सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने अगले ट्वीट में कहा, 'बांग्लादेश के साथ एक भूमि सीमा विवाद (2015) में सुलझा और अधिक विकास और पारगमन के रास्ते खोले। आतंकवादियों को अब वहां सुरक्षित पनाह नहीं मिलती है। हमारी सुरक्षा से पूछो और जो इससे निपटते हैं उनसे पूछिए।'
भूटान और नेपाल के बारे में कही ये बात
एक और ट्वीट में विदेश मंत्री ने कहा, '17 वर्षों के बाद नेपाल में प्रधानमंत्री का दौरा हुआ और विकासात्मक परियोजनाएं हुई जिसमें बिजली, ईंधन, आवास, अस्पताल, सड़क, आदि। उनके नागरिकों से पूछें। भूटान एक मजबूत सुरक्षा और विकास का भागीदार रहा है। 2013 की तरह वे अब अपनी रसोई गैस के बारे में चिंता नहीं करते हैं। उनके घरवालों से पूछो।'
अपने आप से पूछो
अंत में जयशंकर ने कहा, 'अफगानिस्तान में पूर्ण परियोजनाओं (सलमा बांध, संसद), विस्तारित प्रशिक्षण और गंभीर कनेक्टिविटी जैसे काम हुए। अफगान गली से पूछो। और पाकिस्तान (जिसे आपने छोड़ दिया) निश्चित रूप से एक तरफ बालाकोट और उरी के बीच का अंतर नोट करता है, और दूसरी तरफ शर्म-अल-शेख, हवाना और 26/11। अपने आप से पूछो।'