नई दिल्ली: पूर्व वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने कहा है कि अगर पिछले साल फरवरी में पाकिस्तानी विमान के साथ हुई हवाई झड़प में विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान मिग-21 की जगह राफेल उड़ा रहे होते तो नतीजे अलग होते। धनोआ ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा, 'अगर अभिनंदन मिग -21 नहीं बल्कि राफेल उड़ाते तो उस हवाई लड़ाई में समीकरण अलग होते। वह राफेल क्यों नहीं उड़ा रहा था, क्योंकि आपको यह तय करने में दस साल लग गए कि आप कौन सा विमान खरीदना चाहते हैं।'
उन्होंने राफेल मुद्दे पर हुई राजनीति की निंदा की और कहा कि इससे चीजें बहुत धीमी गति से आगे बढ़ती हैं। उन्होंने कहा, 'यदि आप रक्षा खरीद का राजनीतिकरण करते हैं, तो पूरा सिस्टम पीछे चला जाता है। अन्य फाइलें भी धीमी गति से चलने लगती हैं।'
पूर्व वायुसेना प्रमुख ने इस बात का जिक्र किया कि बोफोर्स सौदा भी विवाद में रहा था, जबकि बोफोर्स तोप अच्छे रहे हैं। देश में ऐसी कई एजेंसियां हैं जो शिकायतें प्राप्त होने पर सौदों की जांच करती है। लेकिन साथ ही लोगों को विमानों की कीमतों के बारे में पूछने का अधिकार है क्योंकि उसमें करदाताओं का पैसा लगा होता है।
पीएम मोदी ने पिछले साल कहा था कि पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक के दौरान यदि भारत के पास राफेल लड़ाकू विमान होते तो परिणाम अलग होता। इस पर धनोआ ने कहा कि ये बयान पूरी तरह से सही है। यदि हमारे पास राफेल होता तो स्थिति पूरी तरह से अलग होती।
अभिनंदन ने हवाई झड़प के दौरान एक पाकिस्तानी विमान को मार गिराया था लेकिन अपने मिग 21 विमान के गिरने के बाद वह पकड़ लिए गए थे, हालांकि बाद में पाकिस्तान ने उन्हें भारत भेज दिया।
इससे पहले हाल ही में पूर्व भारतीय वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने कहा था कि मनमोहन सिंह की तत्कालीन यूपीए सरकार ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद पाकिस्तानी आतंकवादी शिविरों पर हमले करने के वायुसेना के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। धनोआ ने कहा था, 'भारतीय वायु सेना को पता था कि पाकिस्तान में आतंकवादी शिविर कहां मौजूद हैं और हम बमबारी करने के लिए तैयार थे लेकिन हमला करना है या नहीं यह एक राजनीतिक निर्णय होता है। दिसंबर 2001 में संसद पर हमले के बाद भी भारतीय वायुसेना ने हवाई हमले के जरिए पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का प्रस्ताव दिया था।'