- पूर्व वायुसेना प्रमुख का दावा- 26/11 के बाद मनमोहन सरकार ने ठुकराया था पाकिस्तान पर हमले का प्रस्ताव
- 2001 में संसद पर हमले के बाद भी वायुसेना ने रखा था हवाई हमले का विकल्प: बीएस धनोआ
- भारतीय वायुसेना की क्षमता पर जताया भरोसा, किसी भी चुनौती से निपटने में है सक्षम
मुंबई: पूर्व भारतीय वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने शुक्रवार को दावा किया है कि मनमोहन सिंह की तत्कालीन यूपीए सरकार ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद पाकिस्तानी आतंकवादी शिविरों पर हमले करने के वायुसेना के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि विदेशी धरती पर हमला एक राजनीतिक निर्णय है और तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान पर हमला नहीं करने का फैसला किया।
मुंबई में वीजेटीआई के वार्षिक उत्सव में बोलते हुए बीएस धनोआ ने कहा, 'भारतीय वायु सेना को पता था कि पाकिस्तान में आतंकवादी शिविर कहां मौजूद हैं और हम बमबारी करने के लिए तैयार थे लेकिन हमला करना है या नहीं यह एक राजनीतिक निर्णय होता है।'
धनोआ ने कहा कि दिसंबर 2001 में संसद पर हमले के बाद भी भारतीय वायुसेना ने हवाई हमले के जरिए पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का प्रस्ताव दिया था। बीएस धनोआ ने कहा कि पाकिस्तान को लगता रहा है कि अंतरराष्ट्रीय वर्ग में उसकी स्थिति की वजह से भारत से उसको खतरा बढ़ रहा है।
पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा कि अगर पाकिस्तान शांति का रास्ता चुनता है तो वह अपने कई विशेषाधिकार खो देगा। उन्होंने कहा, 'इस्लामाबाद कश्मीर के मुद्दे को सुलझाए बिना इसे लगातार विवाद में रखना चाहता है। वह दुष्प्रचार करता रहेगा और हमला करता रहेगा।'
भारत की ताकत पर भरोसा दिखाते हुए, बीएस धनोआ ने कहा कि भारतीय वायुसेना के पास आने वाले समय में, छोटे व तेज गति से युद्ध करने की क्षमता है। हमारे पास जमीन, हवा, समुद्र और अंतरिक्ष में भविष्य के किसी भी युद्ध को लड़ने की क्षमता है।